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सॉवरिन वेल्थ और पेंशन फंड ने दूसरे FPI को पीछे छोड़ा, लॉन्ग टर्म निवेशक भारत में बढ़ा रहे निवेश

सॉवरिन वेल्थ फंडों और पेंशन फंडों जैसी संस्थाओं को स्थिर पूंजी प्रवाह के स्रोतों के रूप में देखा जाता है और वे अक्सर लंबी अव​धि के लिए निवेश करते हैं।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- September 23, 2025 | 9:54 PM IST

दीर्घाव​धि निवेशक भारत में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। पिछले पांच साल में सरकारों के नियंत्रण वाली संस्थाओं – सॉवरिन वेल्थ फंडों और पेंशन फंडों ने दूसरे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तुलना में अपने नियंत्रण वाली इ​क्विटी परिसंप​त्तियों में ज्यादा वृद्धि दर्ज की है। कुल मिलाकर अगस्त 2020 से एफपीआई परिसंप​त्तियों में 139.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि सॉवरिन वेल्थ फंडों के निवेश में 155.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ। पेंशन फंडों और अंतरराष्ट्रीय या बहुपक्षीय संगठनों या एजेंसियों के निवेश में इससे भी अ​धिक तेजी से वृद्धि हुई है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की कि वह कुछ एफपीआई के लिए भारत में निवेश करना आसान बना रहा है। इनमें ऊपर बताई गई संस्थाओं के अलावा, केंद्रीय बैंक और सरकार नियंत्रित और सरकार से जुड़े कम से कम 75 प्रतिशत निवेशकों के नियंत्रण वाली इकाइयां शामिल हैं। जिन पांच प्रमुख श्रेणियों के स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से चार में इक्विटी होल्डिंग अपने प्रतिस्प​र्धियों की तुलना में तेजी से बढ़ी है।

सॉवरिन वेल्थ फंडों और पेंशन फंडों जैसी संस्थाओं को स्थिर पूंजी प्रवाह के स्रोतों के रूप में देखा जाता है और वे अक्सर लंबी अव​धि के लिए निवेश करते हैं। नियामक ने जिन बदलावों की घोषणा की है, उनमें केवाईसी नियमों को आसान बनाना और विदेशी उद्यम पूंजी निवेशक (एफवीसीआई) पंजीकरण से छूट देना शामिल है।

इसका उद्देश्य लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश को आसान बनाना है। इसके अलावा, भरोसेमंद विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल विंडो ऑटोमैटिक और सामान्यीकृत एक्सेस (या स्वागत-एफआई) ढांचे के तहत अन्य उपाय भी किए गए हैं।

सेबी के बयान में कहा गया, ‘इस पहल का उद्देश्य नियामकीय जटिलता कम करना, अनुपालन को आसान बनाना और निवेशकों के आकर्षक गंतव्य के रूप में ङभारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।’

एफपीआई 2025-26 में लगभग 20,877 करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता रहे हैं। अगस्त तक की पांच साल की अव​धि में इक्विटी बाजार में वे कुल मिलाकर लगभग 72,500 करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध खरीदार रहे हैं।

म्युचुअल फंडों ने 2024-25 में 4.79 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। एफपीआई के पास मौजूद संपत्तियों की कुल वैल्यू लगभग 29 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब 70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है जिसका मुख्य कारण इस दौरान घरेलू निवेश में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ-साथ बाजार में भी तेजी आना रहा है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, ‘ये कदम तभी मददगार होंगे जब उन्होंने फंडामेंटल्स के आधार पर अपना मानस बना लिया होगा।’

बाकी दुनिया की तुलना में संपूर्ण आ​र्थिक वृद्धि मजबूत रही है, लेकिन अभी तक आय में सुधार नहीं हुआ है और मूल्यांकन अपेक्षाकृत महंगा है। बाजारों में मामूली गिरावट आने की संभावना है, जिससे कुछ महीनों में एफपीआई के लिए निवेश करना आकर्षक हो सकता है। कुछ महीनों में अमेरिका के साथ टैरिफ संबंधी मुद्दों के भी आखिरकार हल हो जाने की उम्मीद है।

स्वागत-एफआई फ्रेमवर्क से यह सुविधा कम जोखिम वाली श्रेणियों के सभी निवेशकों समेत सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक खुदरा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) तक मिलती है।

First Published : September 23, 2025 | 9:48 PM IST