इंडसइंड बैंक के मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस बात की जांच कर रहा है कि क्या बैंक और उसके तत्कालीन प्रबंधन द्वारा डेरिवेटिव अकाउंटिंग में विसंगति और चूक का खुलासा करने में देर की गई थी। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने इसकी जानकारी दी। पूंजी बाजार नियामक कथित तौर पर भेदिया कारोबार नियमों के उल्लंघनों की जांच करने के साथ ही सूचीबद्धता दायित्व और खुलासा आवश्यकताओं (एलओडीआर) विनियम में संभावित उल्लंघन की भी समीक्षा कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में बैंक से फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी है और नियमों के संभावित उल्लंघन की जांच के लिए ईमेल और अन्य आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है। घटनाक्रम के जानकार एक शख्स ने कहा, ‘भेदिया कारोबार निषेध विनियम के संभावित उल्लंघन के साथ-साथ नियामक इसका भी पता लगा रहा है कि क्या इसके बारे में बहुत पहले खुलासा करने की जरूरत थी क्योंकि अधिकारियों को शायद पहले से इस गड़बड़ी का पता हो।’
भेदिया कारोबार मामले में बाजार नियामक यह देख रहा है कि क्या अधिकारियों ने चूक की जानकारी होने के बावजूद अपने शेयरों की खरीद-बिक्री की थी।
इंडसइंड बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक और सीईओ तथा डिप्टी सीईओ द्वारा की गई शेयर बिक्री की पूर्व जांच से पता चला था कि अधिकारियों ने इसका खुलासा किया था और अब यह सत्यापित किया जाना है कि क्या शेयरों की ट्रेडिंग के समय अधिकारियों के पास ऐसी अप्रकाशित जानकारी थी जिसका खुलासा होने पर शेयर की कीमतों पर असर हो सकता था।
स्टॉक एक्सचेंज के खुलासे से पता चलता है कि मई 2023 से जून 2024 के बीच इंडसइंड बैंक के तत्कालीन एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया ने करीब 9.50 लाख शेयर बेचे थे जिनकी कीमत करीब 134 करोड़ रुपये थी जबकि डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 5.50 लाख शेयर बेचे, जिनकी कीमत 82 करोड़ रुपये थी। ये शेयर उन्हें ईसॉप्स के जरिये मिले थे।
सेबी और इंडसइंड बैंक को ईमेल किए गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया। पिछले सप्ताह दिल्ली में एक कार्यक्रम में सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इंडसइंड बैंक मामले की जांच कर रहा है और बाजार नियामक यह देख रहा है कि किसी ने खुलासा नियमों का ‘गंभीर उल्लंघन’ तो नहीं किया है।
बैंक ने 10 मार्च को बताया था कि बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगति का पता चला है। बैंक ने कहा था कि उसके विस्तृत आंतरिक जांच से पता चला है कि इससे दिसंबर 2024 तक नेटवर्थ में करीब 2.35 फीसदी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में इंडसइंड बैंक को 2,329 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ जो अब तक का उसका सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन है।