रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) में शुक्रवार को शानदार तेजी दर्ज की गई थी। शुक्रवार को जहां इस शेयर में 2.8 प्रतिशत की तेजी आई, वहीं सेंसेक्स में 1 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। सोमवार को भी RIL का शेयर करीब आधा प्रतिशत चढ़ने में सफल रहा। हालांकि इस शेयर को करीब दो साल से सेंसेक्स को मात देने में संघर्ष करना पड़ा है। कंपनी का शेयर भाव मौजूदा समय में उसी स्तर के आसपास है, जो सितंबर 2021 में दर्ज किया गया था, जबकि सेंसेक्स में समान अवधि में 6 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
RIL का शेयर चालू कैलेंडर वर्ष के शुरू से 1.3 प्रतिशत गिरा है, जबकि सेंसेक्स में 3.4 प्रतिशत की तेजी आई है। शेयर में एक साल के आधार पर कमजोरी भी दर्ज की गई है। RIL का शेयर भाव जून 2022 के अंत के बाद से 2.9 प्रतिशत नीचे है, जबकि समान अवधि में सेंसेक्स 18.5 प्रतिशत चढ़ा है।
इसी तरह, RIL ने जुलाई 2009 से सितंबर 2018 के बीच करीब एक दशक तक प्रमुख सूचकांक के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। उस अवधि में, आरआईएल का शेयर भाव 2009 से 2016 के बीच सात वर्षों तक सीमित दायरे में बना रहा।
पिछले समय में, RIL के शेयर में सुस्ती के लिए कंपनी के बढ़ते पूंजीगत खर्च, शुद्ध ऋण स्तर में तेजी और शेयरधारकों की पूंजी पर एक अंक में प्रतिफल की वजह से निवेशकों की चिंताओं को जिम्मेदार माना जा सकता है। इसकी वजह से उसके राजस्व तथा परिसंपत्ति एवं देनदारियों के मुकाबले कंपनी के शुद्ध लाभ और इक्विटी लाभांश में धीमी वृद्धि हुई है।
मार्च के आखिरी सप्ताह में आरआईएल के बारे में अपनी रिपोर्ट में जेएम फाइनैंशियल रिसर्च के दयानंद मित्तल और डीमेल फ्रांसिस ने लिखा है, ‘RIL के शेयर में ताजा कमजोरी मुख्य तौर पर ऊंचे पूंजीगत खर्च और उसकी वजह से बढ़ते कर्ज से जुड़ी चिंताओं के कारण आई।’
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समेकित आधार पर RIL का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023 में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत तक बढ़ा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में उसकी बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले 25.6 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। तुलनात्मक तौर पर, कंपनी की कुल परिसंपत्तियां सालाना आधार पर 18.8 प्रतिशत तक बढ़ीं, जबकि व्यवसाय में लगी पूंजी (ब्याज को अलग रखकर) पिछले वित्त वर्ष एक साल पहले के आधार पर 20.4 प्रतिशत तक बढ़ी।
कैपिटालाइन के आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनी का समायोजित शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023 में 66,702 करोड़ रुपये तक बढ़ा, जबकि उसकी परिसंपत्तियां और नियोजित पूंजी इस साल मार्च के आखिर तक बढ़कर 14.5 लाख करोड़ रुपये और 13.4 लाख करोड़ रुपये रहीं।
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RIL की आय और उसकी परिसंपत्तियों एवं देनदारियों के बीच वृद्धि में अंतर कंपनी के लिए लंबे समय से एक बड़ी समस्या है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि 5जी नेटवर्क की पेशकश और ऑफलाइन तथा ऑनलाइन रिटेल मौजूदगी लगातार बढ़ाने की वजह से आरआईएल की पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2024 में भी ऊंचा बना रह सकता है।