लगातार पांच तिमाहियों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ब्रोकरों को उम्मीद है कि प्लास्टिक पाइप बनाने वाली बड़ी कंपनियां वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में सुधार दर्ज करेंगी। मांग में सुधार हो रहा है और पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) की कीमतें स्थिर हो गई हैं। मांग और कच्चे माल से संबंधित इन अनुकूल बदलावों के साथ-साथ प्रस्तावित एंटी-डंपिंग शुल्क घरेलू निर्माताओं के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। हालांकि वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही कमजोर रही। लेकिन ब्रोकरों को अब इस सेक्टर की आगे की राह आकर्षक दिख रही है।
एक अन्य संभावित उत्प्रेरक जीएसटी में कमी हो सकती है। इस समय पाइप फिटिंग के लिए यह 18 प्रतिशत है। अगर इसकी दर कम हो जाती है तो अंतिम उपयोगकर्ताओं (विशेष रूप से आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में) की जेब पर बोझ घटेगा और पाइप निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने की अतिरिक्त गुंजाइश मिलेगी।
इन कारकों की वजह से शेयर कीमतों में पहले ही तेजी आ चुकी है। प्रिंस पाइप्स ऐंड फिटिंग्स में 5 प्रतिशत, फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज में 3 प्रतिशत, एस्ट्रल पाइप्स में 2 प्रतिशत और सुप्रीम इंडस्ट्रीज में लगभग 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विश्लेषकों का कहना है कि शेयरों में हालिया उतार-चढ़ाव निवेशकों की इस उम्मीद को दर्शाता है कि उद्योग लंबे समय की मंदी के बाद अब बेहतर दौर में प्रवेश कर रहा है।
अल्पावधि ध्यान संभावित एंटी-डंपिंग शुल्क पर है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज ने चीन, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और अमेरिका से पीवीसी रेजिन के आयात पर अपने अंतिम निष्कर्ष जारी कर दिए हैं, जिससे डंपिंग शुल्क का रास्ता साफ हो गया है और आयातित और घरेलू रेजिन के बीच मूल्य अंतर कम करने में मदद मिलेगी।
भारत संरचनात्मक रूप से पीवीसी आयात पर निर्भर है। देश की घरेलू क्षमता 18 लाख टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है जबकि मांग 47 लाख टन प्रति वर्ष है। इस असंतुलन के कारण उद्योग को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भर रहना पड़ता है और वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव झेलना पड़ता है। हालांकि, बड़े समूह कैलेंडर वर्ष 2027 तक 25 लाख टन प्रति वर्ष की वृद्धि के साथ नियोजित विस्तार कर रहे हैं जिससे आयात निर्भरता धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है।
पाइप निर्माता आपूर्ति संबंधित इस बदलाव के मुख्य लाभार्थी के तौर पर उभर सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज में विश्लेषक मीत जैन का मानना है कि मजबूत घरेलू आपूर्ति आधार से न केवल आयात पर निर्भरता कम होगी, बल्कि विश्वसनीयता भी बढ़ेगी, कच्चे माल की कीमतों में अस्थिरता घटेगी, कार्यशील पूंजी की जरूरतें घटेंगी और परिचालन मार्जिन की सुरक्षा होगी।
प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषक प्रवीण सहाय और राहुल शाह भी एंटी-डंपिंग उपायों के महत्त्व पर जोर देते हैं। उनका तर्क है कि ये शुल्क सस्ते आयात को रोकेंगे , स्थानीय उत्पादकों के लिए मददगार होंगे और पीवीसी रेजिन की कीमतें स्थिर करने में मदद मिलेगी, जिससे उद्योग की लाभप्रदता में सुधार होगा। उनके विचार में एस्ट्रल, फिनोलेक्स और सुप्रीम इस संभावित कदम से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगी, क्योंकि मूल्य स्थिरता से इन्वेंट्री जोखिम कम होगा और समय के साथ उन्हें बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पीवीसी रेजिन की कीमतों में हालिया उतार-चढ़ाव से यह बात साफ होती है। घरेलू रेजिन की कीमतों में लगातार पांच महीनों की गिरावट के बाद इनमें मई में लगभग 1.5 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई। मई और अगस्त के बीच कीमतें 4.6 रुपये प्रति किलोग्राम और बढ़ गईं जिससे पिछली गिरावट के रुख के उलटने का पता चलता है। रेजिन की कीमतों से निर्माताओं के इन्वेंट्री मूल्यांकन में सुधार होता है। यही वजह है कि विश्लेषकों को अस्थिरता कम होने पर अल्पावधि लाभ की संभावना दिख रही है।
हालांकि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में उद्योग का वित्तीय प्रदर्शन दबाव में रहा। राजस्व में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि प्राप्तियों में 8 प्रतिशत की कमजोरी आई और बिक्री में 3 प्रतिशत का इजाफा हुआ। कुल परिचालन लाभ में सालाना आधार पर 27 प्रतिशत की कमी हुई जबकि भारी इन्वेंट्री घाटे के कारण प्रति किलोग्राम परिचालन लाभ 41 प्रतिशत कम हुआ।
एस्ट्रल ने 25 करोड़ रुपये का इन्वेंट्री घाटा दर्ज किया जबकि सुप्रीम को लगभग 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। विश्लेषकों का मानना है कि अगर रेजिन की कीमतों में उतार-चढ़ाव कम होता है, तो कंपनियां आने वाली तिमाहियों में चैनल इन्वेंट्री का पुनर्निर्माण कर सकती हैं, जिससे मार्जिन में सुधार आएगा।
कंपनियों को उम्मीद है कि सरकारी बुनियादी ढांचे पर मजबूत खर्च, आवास क्षेत्र में तेजी और ग्रामीण बाजारों में धीरे-धीरे सुधार से मांग भी बढ़ेगी। उन्होंने जुलाई में बिक्री में अच्छी वृद्धि दर्ज की और अगस्त में भी यह रफ्तार जारी है जिससे पता चलता है कि यह क्षेत्र वित्त वर्ष 2026 में मजबूती से प्रवेश कर चुका है। ब्रोकरेज प्रमुख कंपनियों पर सकारात्मक रुख बनाए हुए हैं। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज ने सुप्रीम, एस्ट्रल और प्रिंस पाइप्स पर ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।