प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में शेयर बाजार की गतिविधियां बहुत सुस्त हुई हैं और नकद और डेरिवेटिव दोनों क्षेत्रों में रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम (एडीटीवी) एक साल पहले की तुलना में करीब 20 फीसदी घटा है। डेरिवेटिव ट्रेडिंग के कड़े नियमों और बाजार की कमजोर धारणा ने निवेशकों को दूर ही रखा है।
नकद खंड में रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम एक साल पहले के 1.4 लाख करोड़ रुपये से 19 फीसदी घटकर 1.1 लाख करोड़ रुपये रह गया। वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) कारोबार 485 लाख करोड़ रुपये से 21 फीसदी घटकर 382.3 लाख करोड़ रुपये रह गया।
बेंचमार्क निफ्टी ने वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही की समाप्ति मामूली बढ़त के साथ की। विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी से रुपये पर भी चोट पहुंची। सूचकांक में केवल 3.7 फीसदी की वृद्धि हुई जो 2022-23 की पहली छमाही के बाद इसका सबसे कमजोर पहला छमाही प्रदर्शन है। ट्रेडिंग वॉल्यूम में यह गिरावट पिछले साल भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा एफऐंडओ ढांचे में किए गए बड़े बदलावों के बाद आई है। सेबी ने सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए कई प्रतिबंध लगाए थे। इनमें से एक एक्सचेंज एक साप्ताहिक एक्सपायरी नियम ने वॉल्यूम को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
जून की अवधि में मुनाफे में भारी गिरावट के बाद ब्रोकरेज फर्मों द्वारा एक और कमजोर तिमाही दर्ज किए जाने की संभावना है। सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन में पहले ही गिरावट आ चुकी है। उदाहरण के लिए ऐंजल वन का एक साल आगे का पीई गुणक एक साल पहले के 30 गुना से गिरकर 20 गुना से नीचे आ गया है।
हालांकि वर्ष की दूसरी छमाही में ट्रेडिंग वॉल्यूम में सुधार हो सकता है, लेकिन मौजूदा नियामकीय अनिश्चितता के कारण (जिसमें साप्ताहिक से मासिक एक्सपायरी की बात शामिल है) पूंजी बाजार से जुड़े शेयरों पर दबाव रह सकता है।