पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के नाम से चर्चित ऑफशोर डेरिवेटिव योजनाएं जारी करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों में शुक्रवार को तेजी आई है। एनएसई और बीएसई दोनों पर दर्ज ब्लॉक डील के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें करीब 30,000 करोड़ रुपये मूल्य के सौदे हुए। ये सौदे सोसियाते जेनराली, मार्शल वेस और बीएनपी पारिबा जैसे बड़े एफपीआई के तहत दर्ज किए गए थे।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि कुछ गतिविधि आर्बिट्राज ट्रेडिंग की वजह से हुई, जबकि शेष में नए सौदों का योगदान था। बाजार नियामक सेबी ने इस संबंध में 1 फरवरी से नए सख्त खुलासा मानक लागू करने की घोषणा की है।
बीएलएस ई-सर्विसेज का शेयर अपने 311 करोड़ रुपये के आईपीओ से पहले ग्रे बाजार में मजबूत मांग दर्ज कर रहा है। बाजार कारोबारियों के अनुसार कंपनी के शेयर में 280 रुपये के भाव पर सौदों की अदला-बदली देखी गई, जो उसके 135 रुपये के आईपीओ भाव के मुकाबले करीब दोगुना है।
कंपनी का आईपीओ मंगलवार को खुल रहा है और गुरुवार को बंद होगा। वीजा एप्लीकेशन आउटसोर्सिंग फर्म बीएलएस इंटरनैशनल की इकाई बीएलएस ई-सर्विसेज ने सितंबर 2023 में समाप्त तिमाही के दौरान 156 करोड़ रुपये के राजस्व पर 15 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। आईपीओ भाव (ऊपरी दायरे) पर कंपनी की वैल्यू 1,226 करोड़ रुपये होगी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज में अपनी हिस्सेदारी दिसंबर 2023 में समाप्त तीन महीने की अवधि के दौरान 6 प्रतिशत अंक तक घटाकर 28.2 प्रतिशत कर ली।
इस बीच ज़ी में म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी 2.4 प्रतिशत तक बढ़कर 32.5 प्रतिशत और रिटेल शेयरधारिता 1.38 प्रतिशत बढ़कर 12.41 प्रतिशत हो गई। इस साल अब तक ज़ी का शेयर 40 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है, क्योंकि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ उसका 10 अरब डॉलर का विलय टूट गया है।
बाजार कारोबारियों का मानना है कि कुछ एफपीआई ने इसलिए बिकवाली पर जोर दिया, क्योंकि सेबी द्वारा पिछले साल के मध्य में ज़ी प्रवर्तकों के खिलाफ कदम उठाने के बाद दोनों प्रसारक कंपनियों के बीच टकराव हो गया।