शेयर बाजार

HSBC ने साझा किए भारतीय शेयर बाजार के 5 दम और 4 जो​खिम

शेयर बाजार अहम परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। निवेशक टैरिफ के दबाव और कमजोर आय के मुकाबले खपत में सुधार की उम्मीदों पर ध्यान दे रहे हैं।

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साई अरविंद   
Last Updated- September 02, 2025 | 9:46 PM IST

शेयर बाजार अहम परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। निवेशक टैरिफ के दबाव और कमजोर आय के मुकाबले खपत में सुधार की उम्मीदों पर ध्यान दे रहे हैं। इस सबके बीच एचएसबीसी ने उन अनुकूल और प्रतिकूल कारकों के बारे में बताया है जो बाजार में बढ़त पर असर डाल सकते हैं। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म ने पांच सकारात्मक संकेत बताए हैं जो बाजारों को बढ़ा सकते हैं। साथ ही उसने चार जोखिमों की ओर भी इशारा किया है। एक हालिया नोट के अनुसार उसने क्षेत्रीय संदर्भ में भारत की ‘तटस्थ’ रेटिंग बरकरार रखी है।

एचएसबीसी ने कहा है कि सितंबर 2024 के मध्य के बाद से भारतीय शेयर बाजार अपने उभरते बाजारों के प्रतिस्प​र्धियों की तुलना में 24 प्रतिशत अंक पीछे हैं। इसका मुख्य कारण आय में कमजोरी है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सुस्त मांग ने भी वृद्धि दर पर दबाव डाला है और आय अनुमानों में भारी गिरावट हुई है, जिससे वैश्विक निवेशकों की बिकवाली शुरू हो गई।

राजकोषीय और मौद्रिक प्रोत्साहन से लेकर अमेरिकी टैरिफ के न्यून प्रभाव तक एचएसबीसी ने उन कारकों का जिक्र किया है जो अब घरेलू शेयर बाजार के लिए सहायक हैं। हालांकि उसने आय में गिरावट, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, नए निर्गमों से इक्विटी की अधिक आपूर्ति और निजी पूंजीगत व्यय में कमी जैसे जोखिमों की ओर इशारा भी किया है। एचएसबीसी ने कहा कि कर कटौती से अल्पाव​धि में खपत को मदद मिल सकती है। लेकिन लगातार सुधार मजबूत निवेश और वेतन वृद्धि पर निर्भर करेगा जिसके विफल होने पर 2026 के वृद्धि अनुमानों में कमी आ सकती है।

किन कारकों से बढ़ सकते हैं शेयर बाजार?

1. भारत और चीन के शेयर बाजारों में आ सकती है तेजी

भारतीय और चीनी शेयर बाजारों को अक्सर एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जाता है। धारणा यह है कि विदेशी निवेशक एक बाजार में तेजी लाने के लिए दूसरे बाजार में बिकवाली करके धन जुटाते हैं। हालांकि, एचएसबीसी का तर्क है कि यह दृष्टिकोण हमेशा ही सही नहीं होता। चीन में हालिया तेजी मुख्य रूप से घरेलू निवेशकों से संचालित है, जिसमें विदेशी संस्थानों की सीमित भागीदारी है। भारत में भी घरेलू निवेशक मजबूत भूमिका निभा रहे हैं। एचएसबीसी ने कहा कि चीनी शेयरों में तेजी आने पर भी भारतीय शेयर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

2. टैरिफ से बाजार में बड़ी गिरावट नहीं

भारत दुनिया में अमेरिका की सबसे ज्यादा टैरिफ दर वाले देशों में से एक है। हालांकि, सूचीबद्ध कंपनियां मुख्यतः घरेलू प्रकृति की हैं और सभी बीएसई 500 कंपनियों की बिक्री का 4 प्रतिशत से भी कम हिस्सा अमेरिका को निर्यात किए गए सामान से आता है। फार्मा क्षेत्र अमेरिका पर सबसे ज्यादा निर्भर है और फिलहाल यह टैरिफ से बाहर है। इसलिए, आय पर टैरिफ का असर कम ही रहेगा।

3. मूल्यांकन ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं

एचएसबीसी के अनुसार भारतीय मूल्यांकन ऐतिहासिक और एशियाई समकक्षों की तुलना में कम हुए हैं जिससे बाधाएं घटी हैं। लेकिन सीमित आय वृद्धि रीरेटिंग की संभावना सीमित कर सकती है जिससे तेजी नियंत्रित रहेगी। स्टेपल्स और चुनिंदा औद्योगिक क्षेत्रों में मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है। लेकिन तकनीकी और बैंकों में आकर्षक दिख रहा है।

4. खपत कमजोर मगर परिदृश्य में सुधार

एचएसबीसी ने कहा कि अच्छे मॉनसून और घटती मुद्रास्फीति से ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं जबकि कमजोर वेतन वृद्धि और धीमी ऋण दरों से शहरी मांग में नरमी आई है। हाल में कर कटौती से अल्पाव​धि राहत मिल सकती है। लेकिन निरंतर सुधार मजबूत वेतन वृद्धि पर निर्भर करता है।

5. मौद्रिक रियायत का असर अभी दिखना बाकी

मुद्रास्फीति आठ साल के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ गई है। इससे ब्याज दरों में कटौती और ऋण मानक आसान हुए हैं। तरलता में सुधार हुआ है। लेकिन कमजोर मांग और बढ़ती ऋण लागत के कारण बैंकों की आय घट रही है। एचएसबीसी के अनुसार कम ब्याज दरों से अंततः निवेश, खपत और वेतन वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

First Published : September 2, 2025 | 9:46 PM IST