प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
विश्लेषकों का मानना है कि ताजा घटनाक्रम – वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में प्रस्तावित बदलाव और एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा भारत की दीर्घावधि सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘बीबीबी-’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ करना विदेशी निवेशकों को भारतीय इक्विटी बाजारों में जल्द वापस लाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। उनका मानना है कि भारतीय बाजारों में उनकी दमदार वापसी के लिए कॉरपोरेट आय में सुधार के साथ-साथ स्थिर नीतिगत ढांचा (घरेलू और वैश्विक स्तर पर, टैरिफ के रूप में) जरूरी है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘जीएसटी के मोर्चे पर सरकार की ओर से नीतिगत पहलों से बाजार धारणा में सुधार आया है। हालांकि फंडामेंटल (आय वृद्धि) को प्रतिक्रिया देने में समय लगेगा। बाजार में मजबूत तेजी तभी आएगी जब हमें आय में सुधार के संकेत मिलेंगे।’
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं। उन्होंने जनवरी में सबसे ज्यादा लगभग 78,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। एनएसडीएल के अनुसार अगस्त में वे पहले ही लगभग 22,200 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं।
कोटक अल्टरनेट ऐसेट मैनेजर्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार जितेंद्र गोहिल ने कहा कि विदेशी निवेशक अब उभरते बाजारों (ईएम) में अधिक निवेश करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका में एआई के कारण आई तेजी ने संबंधित शेयरों को अत्यधिक महंगा बना दिया है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों के अनुसार कॉरपोरेट आय की बात करें तो निफ्टी ने कर-पश्चात लाभ (पीएटी) में सालानाना आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि उनके अनुमान 5 प्रतिशत की वृद्धि के थे।
एमओएफएसएल ने कहा, ‘भारती एयरटेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने आय में सालाना आधार पर वृद्धि में 77 प्रतिशत का योगदान दिया। इसके विपरीत, कोल इंडिया, टाटा मोटर्स, इंडसइंड बैंक, ओएनजीसी, एचसीएल टेक्नॉलजीज, कोटक महिंद्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक, इटरनल, हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और नेस्ले ने आय में प्रतिकूल योगदान दिया।’
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 में निफ्टी-50 इंडेक्स का शुद्ध लाभ क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 17.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा जबकि वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत में इनके बारे में उनके अनुमान क्रमशः 12.1 प्रतिशत और 15.4 प्रतिशत थे।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) के प्रबंध निदेशक और सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदवा के साथ हाल में एक नोट में लिखा, ‘निफ्टी-50 सूचकांक की शुद्ध आय और एबिटा वित्त वर्ष 2026 में 9.6 प्रतिशत और 13 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत थी।’
विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ संबंधित घटनाक्रम से भारतीय बाजारों में अगर कोई गिरावट आती है तो उसका इस्तेमाल दीर्घावधि नजरिये से खरीदारी के लिए किया जाना चाहिए।
जेफरीज में इक्विटी स्ट्रैटजी के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड का कहना है, ’50 फीसदी टैरिफ को भारतीय इक्विटी बेचने का कारण नहीं बनाना इसके बजाय हो सकता है कि यह खरीदारी का अवसर हो। यह बस समय की बात है कि ट्रंप (भारत पर टैरिफ के मामले में) अपने रुख से पीछे हटेंगे। निवेशकों के लिए अब भारत में निवेश कम करने में बहुत देर हो चुकी है क्योंकि मूल्यांकन अब 10 साल के औसत के आसपास आ गया है।