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इक्विटी मार्केट का परफॉर्मेंस होगा मजबूत, First Global की चेयरमैन ने कहा- मुझे यह नहीं लगता चिंताजनक समय

वै​श्विक बॉन्ड बाजार में 200 साल के इतिहास में 2022 सबसे खराब वर्ष रहा। इसलिए, मेरा स्पष्ट मानना था कि 2023 खराब वर्ष नहीं रहेगा, क्योंकि इस तरह की अव​धि दोबारा नहीं आती है

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- September 04, 2023 | 6:10 PM IST

बढ़ती खाद्य कीमतों और वै​श्विक केंद्रीय बैंकों के कदमों ने इ​क्विटी बाजार की चाल प्रभावित की है। फर्स्ट ग्लोबल की संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक देविना मेहरा ने पुनीत वाधवा के साथ एक ईमेल साक्षात्कार में बताया कि उन्हें भारतीय इ​क्विटी बाजारों का प्रदर्शन भविष्य में भी मजबूत बने रहने का अनुमान है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

क्या निवेशकों के लिए यह समय आशंकित होने का है?

मैं नहीं मानती कि यह समय डरने वाला रहेगा। मैं जो कह रही हूं, उसके पीछे कई कारक हैं। पहला, 2010 से 2020 तक भारतीय बाजारों के लिए पिछले समय के मुकाबले खराब प्रदर्शन वाली अवधि थी जिससे सिर्फ 8.8 प्रतिशत का सालाना प्रतिफल (रिटर्न) ही मिल पाया, जो 15-16 प्रतिशत के दीर्घाव​धि औसत से काफी कम है। इसके अलावा, इस अव​धि में भारतीय बाजार ने वैश्विक बाजारों के मुकाबले भी कमजोर प्रदर्शन किया। जब इस अव​धि के बाद प्रदर्शन में सुधार शुरू हुआ, तो उम्मीद थी कि यह टिकाऊ होगा। बड़ी गिरावट का जो​खिम तब होता है जब बाजार ट्रेंड लाइन से काफी ऊपर हो, जो मौजूदा समय में नहीं दिख रहा है।

क्या मौजूदा समय में निवेश योग्य थीमों की आपूर्ति कम है?

भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के अभाव समेत कई समस्याएं हैं। उदाहरण के लिए, लक्जरी कारों में वृद्धि दोपहिया और एंट्री-लेवल कारों के मुकाबले काफी ज्यादा है। समान रुझान किफायती हाउसिंग के मुकाबले लक्जरी हाउसिंग सेगमेंट में दिख रहा है। अर्थव्यवस्था के सामान्य होने से संगठित क्षेत्र को मदद मिली है और सूचीबद्ध क्षेत्र ज्यादा संपन्न ग्राहक आक​र्षित कर सकता है, जिससे यह सेगमेंट बेहतर प्रदर्शन करेगा। हमेशा क्षेत्रीय बदलाव होते हैं, लेकिन बाजार में फिर भी अवसर बने रहते हैं।

आपकी निवेश रणनीति क्या है?

पिछले 20-22 महीनों में, हम पूंजीगत वस्तु और औद्योगिक मशीनरी क्षेत्रों पर ज्यादा ओवरवेट रहे। आईटीसी और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज जैसे कुछ खास एफएमसीजी नाम भी हमारे लिए फायदेमंद रहे हैं। 2023 में हमने वाहन, वाहन कलपुर्जा, फार्मास्युटिकल और कुछ निर्माण कंपनियों के शेयर शामिल किए। मैंने इस अव​​धि के दौरान दो बार स्पष्ट रूप से खरीदें रेटिग दी- एक बार जून 2022 में और फिर मार्च 2023 में। दोनों बार, ये बाजार (निफ्टी के 15,300 और16,900 के स्तर) के निचले स्तर के काफी करीब थे, जब अगले कुछ महीनों में बड़ी तेजी देखी गई।

क्या आपको अगली कुछ तिमाहियों के दौरान आय अनुमानों में कमी की आशंका है, क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ी है?

आय में कमजोरी से मुझे बड़े जो​खिम की आशंका नहीं दिख रही है, क्योंकि कई उत्पाद लागत कीमतें पिछले साल के मुकाबले कम हैं। कई उत्पाद कीमतें पेट्रोलियम-आधारित हैं और भले ही कच्चे तेल की कीमतें निचले स्तर से बढ़ी हैं, लेकिन एक साल पहले की तुलना में ये अभी भी नीचे हैं। धातुओं में भी बड़ी तेजी नहीं आई है, इसलिए मुझे उत्पाद कीमत संबं​धित बड़े दबाव की आशंका नहीं दिख रही है।

दुनियाभर में कौन से इ​क्विटी बाजार में मौजूदा समय में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ज्यादा दिलचस्पी है?

भारतीय ​इक्विटी बाजार का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से मजबूत रहा है। भले ही इसमें 2022 के दौरान डॉलर के संदर्भ में कमजोरी आई, लेकिन कई अन्य की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। मेरा मानना है कि यह मजबूत प्रदर्शन आगे भी बना रहेगा। मैं बाजार के नजरिये से FII प्रवाह का पूर्वानुमान या यहां तक कि निगरानी भी नहीं करती, क्योंकि आंकड़े से पता चलता है कि इनका बाजार की गतिवि​​धियों से संबंध नहीं है। इसलिए उस पर समय खर्च करना समझदारी भरा कार्य नहीं है।

क्या वै​श्विक बॉन्ड बाजारों के लिए खराब समय बीत गया है?

वै​श्विक बॉन्ड बाजार में 200 साल के इतिहास में 2022 सबसे खराब वर्ष रहा। इसलिए, मेरा स्पष्ट मानना था कि 2023 खराब वर्ष नहीं रहेगा, क्योंकि इस तरह की अव​धि दोबारा नहीं आती है। दूसरी तरफ, मैंने यह कभी नहीं सुना ​कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 2023 की दूसरी छमाही में दर कटौती करेगा। इतिहास गवाह है कि मुद्रास्फीति इतनी तेजी से कभी कम नहीं होती। कई उभरते बाजारों के बैंकों ने 2021 में फेडरल रिजर्व से पहले ही दरें बढ़ानी शुरू कर दी थीं और कुछ ने अब दरों में कटौती शुरू कर दी है। आरबीआई को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है, जो ब्याज दरों में बदलाव के ​जरिये पूरी तरह संभव नहीं है।

First Published : September 3, 2023 | 8:21 PM IST