भारतीय बाजार में बिजली डेरिवेटिव के सौदे शुरू हो गए हैं। इस मौके पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि नियामक ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि ये अनुबंध अनुचित सट्टेबाजी का जरिया बनने के बजाय हेजिंग का एक माध्यम बने रहें।
मुंबई में एनएसई में बिजली के मासिक वायदा के शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए सेबी अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि बिजली डेरिवेटिव को उद्देश्य के अनुरूप बनाए रखने के सुरक्षा उपाय किए गए हैं। बिजली वायदा वित्तीय सौदे होते हैं जो कारोबारियों को भौतिक रूप में बिजली वितरण के बिना भविष्य के किसी तय महीने के लिए बिजली की कीमत लॉक करने की अनुमति देते हैं।
पांडेय ने कहा, ‘बिजली को ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले जिंस के तौर पर रखा गया है जिसमें अधिक शुरुआती मार्जिन की जरूरत होती है। इससे अनुचित सट्टा गतिविधियों को रोका जा सकेगा। बहुत ज्यादा अस्थिरता के समय अतिरिक्त मार्जिन लगाया जा सकता है।’ सेबी प्रमुख ने यह भी बताया कि एक और जिस जोखिम प्रबंधन व्यवस्था बनाई गई है, वह है रोजाना की मूल्य सीमा जो निवेशकों को अचानक और कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से बचाएगी।
बिजली वायदा कारोबारियों को मूल्य में घट-बढ़ से बचाने में मदद करेगा और भौतिक बिजली कारोबार का पूरक होगा। इन अनुबंधों में व्यापार करने वाले प्रमुख भागीदारों में बिजली उत्पादक, वितरण कंपनियां, बिजली एक्सचेंज, अंतिम उपभोक्ता और अन्य कारोबारी शामिल होंगे।
सेबी अध्यक्ष ने कहा कि ये अनुबंध मांग-आपूर्ति की गतिशीलता के कारण हाजिर बाजारों में कीमतों में उतार-चढ़ाव, दीर्घावधि बिजली खरीद समझौते करने वाली डिस्कॉम पर वित्तीय दबाव जैसी चुनौतियों का समाधान करेंगे और बिजली उत्पादन के बुनियादी ढांचे तथा अक्षय ऊर्जा में निवेश को आसान बनाएंगे।