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FPI की बिकवाली से सूचकांकों में नुकसान, Sensex 241 अंक टूटा

बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को 5.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 430 लाख करोड़ रुपये रह गया।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- January 10, 2025 | 10:02 PM IST

देसी और विदेशी बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के मंदी के दांव से 10 जनवरी को समाप्त हफ्ते में बेंचमार्क सेंसेक्स 2.4 फीसदी और निफ्टी 2.3 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। सेंसेक्स ने शुक्रवार को 241 अंकों की गिरावट के साथ 77,379 पर कारोबार की समाप्ति की। निफ्टी 95 अंक टूटकर 23,432 पर बंद हुआ। बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को 5.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 430 लाख करोड़ रुपये रह गया। हफ्ते में कुल बाजार पूंजीकरण 20 लाख करोड़ रुपये कम हुआ है।

दिसंबर तिमाही में कंपनियों की आय और अमेरिका में ट्रंप के कार्यभार संभालने पर नीतियों में होने वाले बदलाव की चिंता के बीच एफपीआई साल की शुरुआत से ही बिकवाली कर रहे हैं। जनवरी में अब तक एफपीआई 16,843 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं। एफपीआई की निकासी अक्टूबर से शुरू हुई और तब इसकी वजह चीन के प्रोत्साहन उपाय थे जो उसने अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए किए थे।

अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत से नई चिंता उभरी क्योंकि नीतियों के लेकर किए गए उनके वादे वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा सकते हैं। इससे भी अन्य बाजारों का आकर्षण घटा है। तब से डॉलर मजबूत हुआ है और निवेशक 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों में रकम लगा रहे हैं। अक्टूबर से रुपये में डॉलर के मुकाबले 2.5 फीसदी की गिरावट आई है और 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का यील्ड 91 आधार अंक चढ़ा है।

अक्टूबर और नवंबर मे एफपीआई भारतीय शेयरों में 1.2 लाख करोड़ रुपये के बिकवाल रहे हैं। हालांकि दिसंबर में वे शुद्ध खरीदार बन गए और साल की शुरुआत में बिकवाली फिर शुरू हो गई। एफपीआई ने वायदा में बिकवाली के सौदे खड़े किए। निफ्टी और बैंक निफ्टी फ्यूचर में उनकी कुल बिकवाली (शॉर्ट्स) में इजाफा हुआ है और गुरुवार को शॉर्ट के सौदे 2,67,829 थे जो 6 जून 2024 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि एफपीआई जब इंडेक्स फ्यूचर्स में शुद्ध रूप से शॉ़र्ट पोजीशन लेते हैं तो वे बाजार में गिरावट की उम्मीद करते हैं या फिर वे नकदी बाजार में बड़ी मात्रा में बिकवाली के लिए शॉर्ट करते हैं। इंडेक्स में पहले से ही बिकवाली का मतलब है, लागत का असर न्यूनतम करना।

ट्रंप के कार्यकाल में काफी अनिश्चितता की संभावना है और निवेशक इस कारण जोखिम नहीं ले रहे हैं। उनके नीति उपायों का असर मुद्रास्फीति पर हो सकता है जिससे डॉलर मजबूत होगा और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड्यू हॉलैंड ने कहा कि आने वाले समय में बाजारों में अल्पावधि में बिकवाली दबाव ज्यादा रह सकता है।

First Published : January 10, 2025 | 10:02 PM IST