Sensex hits 80,000 levels today: बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स बुधवार को इंट्रा-डे ट्रेड में पहली बार 80,000 अंक के पार पहुंच गया। सेंसेक्स में तेजी HDFC बैंक के शेयरों से प्रेरित थी। आज के कारोबार में यह शेयर 4 प्रतिशत बढ़कर 1,794 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। यह इतिहास में सेंसेक्स की तीसरी सबसे तेज 5,000 अंक की बढ़त है।
आंकड़ों से पता चलता है कि सेंसेक्स को अंतिम 5,000 अंक हासिल करने में सिर्फ 57 दिन लगे। आसान भाषा में कहे तो, दो महीने से भी कम समय में सेंसक्स ने 75,000 से 80,000 अंक तक का सफर तय कर लिया।
सेंसेक्स के लिए सबसे तेज 5,000 अंक की रैली लगभग तीन साल पहले (24 सितंबर, 2021) थी जब इंडेक्स केवल 28 कारोबारी दिनों की अवधि में 55,000 अंक से बढ़कर 60,333 के इंट्राडे हाई पर पहुंच गया था। दूसरी ओर, सेंसेक्स को पहली बार 5,000 अंक तक पहुंचने में 4,357 कारोबारी दिन लगे।
सेंसेक्स में पिछली 5,000 अंकों की बढ़त – 9 अप्रैल, 2024 को 75,000 अंक से लेकर 3 जुलाई, 2024 तक – विभिन्न शेयरों के कारण हुई है। एसीई इक्विटी डेटा से पता चलता है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) इस अवधि के दौरान 37 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर लगभग 2,900 रुपये के स्तर पर पहुंच गई है।
अल्ट्राटेक सीमेंट, भारती एयरटेल, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (PGCIL), टेक महिंद्रा और एक्सिस बैंक लाभ में रहे।
दूसरी ओर, इस अवधि के दौरान इंडसइंड बैंक, टाइटन, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी, सन फार्मा, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और एचसीएल टेक्नोलॉजीज 8 प्रतिशत तक फिसल गए।
जूलियस बेयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुछाला ने कहा कि बाजार लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है, क्योंकि थोड़े अप्रत्याशित चुनाव परिणाम के बाद सरकार के मौजूदा सुधारों, जैसे घरेलू विनिर्माण, बुनियादी ढांचे के विकास आदि पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना का एहसास हो रहा है।
उनका मानना है कि आर्थिक माहौल मजबूत बना हुआ है और ओवरऑल कंपनियों की कमाई की गति भी मजबूत बनी हुई है, जो उछाल का भी समर्थन कर रही है। वैश्विक जोखिम वाले माहौल की स्थिति में, ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों के कारण EM इक्विटी में फंड का फ्लो बढ़ सकता है, भारत के इस फ्लो के बड़े लाभार्थियों में से एक के रूप में उभरने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “घरेलू बाजार में नकदी लगातार मजबूत बनी हुई है। ऐसा लगता है कि लोक सभा चुनाव जैसे बड़े इवेंट के दौरान कम जोखिम लेने वाले निवेशक पैसा नहीं लगा रहे थे, वो भी अब बाजार में निवेश कर रहे है। हम वित्तीय, उपभोक्ता उत्पाद, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सूचकांक के कुछ दिग्गजों को तेजी से आगे बढ़ते हुए भी देख रहे हैं। समग्र दृष्टिकोण रचनात्मक बना हुआ है, हालांकि हम बाजारों में कंसोलिडेशन (बाजार में ठहराव) के कुछ चरण देख सकते हैं क्योंकि कमाई मूल्यांकन के बराबर है, जो ऐतिहासिक औसत से मामूली प्रीमियम पर है।”
विश्लेषकों ने कहा, हालांकि, अल्पावधि में, बाजार की चाल आने वाले कंपनियों की कमाई के डेटा और बजट से मिलने वाले संकेतों से तय होगी। उनका मानना है कि सरकार अपनी नीतियों में अधिक लोकलुभावन नहीं होगी। चुनावी निराशा के बावजूद, नोमुरा के विश्लेषकों का अनुमान है कि सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखेगी। वे मानते हैं कि कम कोर मुद्रास्फीति और उच्च वास्तविक दरों के चलते अक्टूबर से एक सहज चक्र का समर्थन होना चाहिए।
नोमुरा की भारत और एशिया (जापान को छोड़कर) की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने हाल ही में एक सह-लेखित नोट में लिखा, “भले ही मौजूदा सरकार को अप्रत्याशित चुनाव परिणाम मिले हों, हम लोकलुभावन नीतियों की ओर कोई बदलाव की उम्मीद नहीं करते। इसके बजाय, आगामी जुलाई बजट में पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर निरंतर ध्यान केंद्रित रहने की संभावना है। आरबीआई के बड़े विदेशी मुद्रा भंडार से बाहरी प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे स्थिरता बनी रहेगी और पूंजी प्रवाह और अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा।”
मोतिलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का भी मानना है कि जुलाई में आने वाले बजट में कर अनुमान में बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, रिकॉर्ड उच्च आरबीआई लाभांश से सरकार को इस वर्ष बजट अनुमान के मुकाबले लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने में मदद मिल सकती है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को GDP के 5 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।