बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल्स के इस्तेमाल के मामले में म्युचुअल फंडों, स्टॉक ब्रोकरों और मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस (एमआईआई) जैसी पंजीकृत इकाइयों की जवाबदेही तय करने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव रखा है।
प्रस्तावित नियमों के तहत बाजार नियामक का इरादा एआई व मशीन लर्निंग टूल्स के इस्तेमाल को नियामकीय समीक्षा के दायरे में लाने और प्रतिभूतियों, निजता, निवेशकों के आंकड़ों के मामले में जवाबदेही को पारिभाषित करने और उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करने का है। बुधवार को जारी परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है जो खामियों की स्थिति में उसे कार्रवाई की इजाजत देंगे।
परामर्श पत्र में कहा गया है कि एमआईआई, इंटरमीडियरीज और सेबी की तरफ से नियमन में आने वाले व्यक्तियों को जवाबदेह बनाने की सख्त जरूरत है जो एआई और एमएल का इस्तेमाल करते हैं। अपने ग्राहकों को सेवा देते समय या कारोबार और इससे जुड़ी गतिविधियों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या मशीन लर्निंग टूल्स का उपयोग करते हैं। सेबी का मकसद ऐसे इस्तेमालकर्ताओं को और गंभीर बनाना और इसमें निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इसमें कहा गया है कि ऐसे नियमों के उल्लंघन की स्थिति में सेबी कार्रवाई कर सकता है। इससे पहले साल 2019 में सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों, एक्सचेंजों, एएमसी आदि की तरफ से एआई और मशीन लर्निंग ऐप्स और टूल का इस्तेमाल किए जाने पर जानकारी देने की आवश्यकता के लिए कई सर्कुलर जारी किए थे।
प्रस्तावों में कहा गया है कि थर्ड पार्टी तकनीकी सेवा प्रदाताओं का इस्तेमाल करने पर भी इकाई निवेशकों की निजता और ऐसे इस्तेमाल से निकलने वाले आउटपुट को लेकर पूरी तरह से जिम्मेदार होगी। साथ ही उन्हें लागू अन्य कानूनों का भी अनुपालन करना होगा।
सेबी ने नियमों में किसी तरह का मसला खड़ा न हो, इसके लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस टूल्स को परिभाषित भी किया है। बाजार नियामक ने बाजार विश्लेषण, शेयरों के चयन, निवेश रणनीति, एआई समर्थित ट्रेडिंग के लिए वित्तीय बाजार में एआई के बढ़ते इस्तेमाल को रेखांकित किया है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 28 नवंबर तक टिप्पणी मांगी है।