कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने आज सभी आरोपों को खारिज कर दिया। बुच दंपती ने कहा कि उनके आयकर रिटर्न का ब्योरा ‘अवैध’ तरीके से हासिल किया गया और ‘झूठी कहानी गढ़ने के लिए तथ्यों में जानबूझकर हेरफेर की गई।’
कांग्रेस ने लगातार कई संवाददाता सम्मेलन कर बुच दंपती पर गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस का नाम लिए बगैर बुच दंपती ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया। इसी साल अगस्त में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए हितों के टकराव के आरोप पर बुच दंपती का यह दूसरा विस्तृत जवाब है। लेकिन कांग्रेस के आरोपों के बाद उन्होंने पहली बार जवाब दिया है।
अपने छह पेज के विस्तृत बयान में माधवी और धवल बुच ने हितों के टकराव, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के अभाव जैसे सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कांग्रेस के उस आरोप का खास तौर पर खंडन किया, जिसमें कंसल्टेंसी फर्म अगोरा एडवाइजरी के जरिये आईसीआईसीआई समूह एवं समूहों से कमाई करने की बात कही गई थी।
इन आरोपों को ‘झूठा, दुर्भावनापूर्ण और किसी खास उद्देश्य से प्रेरित’ बताते हुए दंपती ने संकेत दिया कि वे इसके खिलाफ अदालत में जा सकते हैं। दंपती ने बयान में कहा है, ‘ऐसा लगता है कि मामले को सिर्फ गरम रखने के मकसद से ये आरोप किस्तों में लगाए जा रहे हैं। यदि इसके पीछे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर कुछ लोगों तथा संस्थाओं को बदनाम करने के बजाय सच सामने लाने की सोच होती तो सभी आरोप एक बार में ही क्यों नहीं लगा दिए जाते? ऐसा होता तो हम एक बार में ही सारे तथ्य सामने रख देते।’
आईसीआईसीआई समूह से कर्मचारी शेयर विकल्प (ईसॉप्स) हासिल करने के आरोप पर बुच दंपती ने सफाई दी कि सेबी के दिशानिर्देश इस बात की इजाजत देते हैं कि उसके बोर्ड का कोई भी सदस्य या चेयरपर्सन ईसॉप्स रखे या उसे भुनाए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि माधवी ने साल 2017 में बाजार नियामक को इसकी जानकारी दी थी, जब वे पहली बार पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेबी से जुड़ी थीं। इसके बाद जब-जब इस तरह का लेनदेन हुआ तो उन्होंने जानकारी दी।
बुच दंपती ने अपने बयान में कहा कि माधवी ने सेबी में आने के बाद कभी आईसीआईसीआई समूह, महिंद्रा समूह, डॉ रेड्डीज, अल्वारेज ऐंड मार्शल, सेम्बकॉर्प, विसु लीजिंग से जुड़ी किसी भी फाइल को नहीं निपटाया है।
आईसीआईसीआई समूह से कमाई के आरोपों पर बुच दंपती ने कहा, ‘माधवी ने अपने ईसॉप्स कब भुनाए, उस समय बाजार मूल्य क्या था और कितने ईसॉप्स भुनाए गए, इसके हिसाब से हर साल अलग-अलग फायदा होता है। अगर किसी साल में कोई ईसॉप्स नहीं भुनाया गया तो उससे कोई कमाई नहीं होगी और रिटर्न में यह नजर भी आएगा।’
बुच दंपती ने यह भी स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी इस्तीफा देते हैं उनके पास ये ईसॉप्स तीन साल के लिए ही रह सकते हैं, लेकिन माधवी जैसे जो कर्मचारी वरिष्ठ पदों पर सेवानिवृत्त होते हैं उनके पास इन्हें भुनाने के लिए दस साल का समय होता है।
दंपती ने कहा कि माधवी ने आईसीआईसीआई बैंक से दो साल के लिए अवैतनिक अवकाश लिया था, जब वह सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फर्म में किसी भूमिका में थीं। उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक से नियमों के अनुसार ही अवकाश लिया था और पीई फर्म के साथ उनका समझौता कानूनी और पारदर्शी था, जिसके बारे में दोनों संस्थाओं को जानकारी दे दी गई थी।
इस संयुक्त बयान में बुच दंपती ने इन आरोपों को खारिज किया कि उन्हें किसी तरह का लाभ पहुंचाने के बाद कंपनियों से रकम मिली और उन्होंने कहा कि इस तरह का सवाल उठाना उक्त कंपनियों की भी मानहानि के बराबर है। इसके पहले कंपनियां कह चुकी हैं कि उन्होंने धवल बुच की सेवाएं इसलिए लीं क्योंकि उन्हें नेतृत्व का काफी अनुभव था और उन्होंने यूनिलीवर में आपूर्ति श्रृंखला में विशेषज्ञता हासिल की थी।