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एसबीआई: मुश्किलें हैं आगे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 10:49 PM IST

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को लेकर जो खबरें आ रही हैं वो उत्साहवर्धक तो बिल्कुल नहीं कही जा सकती हैं।
बैंक के अध्यक्ष ने पहले ही गैर-निष्पादित धन में बढ़ोतरी होने का संकेत दिया था, साथ ही पोर्टफोलियो भी भारी दबाव में है। सबसे खास बात यह है कि मार्च 2009 में क्रेडिट की रफ्तार अपेक्षा से काफी कम रही है जो उधारी दरों में और अधिक कटौती का सबब बन सकती है।
बैंक ने अपनी आवासीय और कार ऋण योजना से ग्राहकों को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश की लेकिन ऐसा लगता कि लाख प्रयास के बावजूद भी आवासीय और कार ऋण की तरफ लोग आकिर्षत नहीं हुए हैं। ऐसे लोग जो घर खरीदने की तमन्ना रखते हैं, वे अभी भी अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं है और कीमतों में और कमी होने का इंतजार कर रहे हैं।
उधार की रफ्तार में कमी और एसबीआई की जमा रकम में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर असर पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वित्त वर्ष 2008-09 की अंतिम तिमाही ही नहीं बल्कि  आगे भी नेट इंटरेस्ट मार्जिन कमजोर रह सकता है।
जिस बात ने बैंक के लिए सबसे ज्यादा परेशानी खडी क़ी है, वह यह कि आर्थिक हालात अभी भी नहीं सुधरे हैं और इसके मद्देनजर गैर-निष्पादित धन में बढाेतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऋ ण की गुणवत्ता में गिरावट और इसके लिए प्रावधानों की ज्यादा जरूरत होने की वजह से बैंक द्वारा दिया गया कर्ज इसके लिए काफी महंगा हो सकता है। 
गौरतलब है कि पिछले तीन सालों के दौरान एसबीआई ने कर्ज देने की रफ्तार को काफी गति प्रदान की है। इस ऋण का एक बडा हिस्सा एसएमई को दिया गया है। गौरतलब है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट का एसएमई पर काफी बुरा असर पडा है और इस वजह से एसबीआई के गैर-निष्पादित धन में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इस संदर्भ में बात करें तो बैंक के कर्ज के घाटे की सुरक्षा 48 फीसदी है जो इसके प्रतिस्पर्धी बैंकों से काफी कम है। मैक्वेरी के अनुसार एसबीआई का समेकित शुध्द मुनाफा चालू वित्त वर्ष में 13,700 करोड़ से घटकर 11,000 करोड़ रुपये रह सकता है।
एम ऐंड एम: जाइलो से राहत
महिन्द्रा ऐंड महिन्द्रा (एम ऐंड एम) कंपनी की जाइलो बाजार में लोगों का दिल जीतने में सफल रही है और कंपनी भी खासी उत्साहित नजर आ रही है। जाइलो की वजह से यूटिलिटी वाहन कारोबार में  तेजी दर्ज की गई है।
मार्च के अंत में इसमें 30 फीसदी की बढाेतरी हुई है और कंपनी मार्च के अंत तक 20,000 यूनिट बेचने में सफल रही है। हालांकि इस तेजी के बाद भी कारोबार की यह रफ्तार बरकरार रह पाएगी या नहीं, इसके बारे में कुछ कहना अभी मुश्किल लग रहा है।
एम ऐंड एम के ऑटोमोबाइल कारोबार के प्रमुख पवन गोयनका का कहना है कि निश्चित तौर मार्च यूटिलिटी व्हीकल केलिहाज से दूसरा सबसे बेहतर महीना रहा है। लेकिन कारोबारी अनिश्चितता की वजह से गोयनका भी, मांग का ऊंट किस करवट बैठेगा, इस बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
भीषण मंदी की चपेट में आने के बाद आर्थिक स्थिति में अभी भी बहुत ज्यादा सुधार के संकेत नहीं मिले हैं, इसलिए इस बात की संभावना अभी बरकरार है कि आने वाले कुछ महीनों में यात्री वाहन की मांग कमजोर रह सकती है। 
हालांकि इन कयासों के बावजूद भी कंपनी मार्च में करीब 3,200 ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित कर पाने में सफल रही है जिससे कंपनी को मंदी की आंधी झेल पाने में निश्चित तौर पर मदद मिलनी चाहिए।  कंपनी के अन्य मॉडल बोलेरो का प्रदर्शन भी बाजार में बेहतर रहा है, हालांकि इसकी बिक्री में मात्र 10 फीसदी की ही तेजी रही है।
ऑटोमोटिव कारोबार जिसमें यूवी और एलसीवी शामिल हैं, का कारोबार थोडा बहुत दबाव में रहा है। दिसंबर 2008 की तिमाही में इसे ईबीआईटी पर 10 करोड रुपये का नुकसान उठाना पडा है जिसके लिए बिक्री में कमी और कच्चे मालों की अपेक्षाकृत ऊंची कीमतों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
हालांकि एम ऐंड एम का ट्रैक्टर कारोबार ने मुनाफा दिया है लेकिन इसके बावजूद परिचालन मुनाफा मार्जिन दिसंबर 2007 के 11.5 फीसदी के मुकाबले लुढ़क कर 1.5 फीसदी के स्तर पर आ गया।
मार्च की तिमाही में कुछ बेहतरी की उम्मीद की जा रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि वित्त वर्ष 2008-09 कारोबार के लिहाज से निराशाजनक रहा है लेकिन वित्त वर्ष 2009-10 से बेहतर की अपेक्षा की जानी चाहिए।

First Published : April 2, 2009 | 11:15 PM IST