अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बुधवार को रुपया कारोबार के दौरान नए निचले स्तर 83.97 पर आ गया क्योंकि निवेशक कैरी ट्रेड से बाहर निकल गए, जिसने चीनी युआन और जापानी येन का इस्तेमाल रुपये पर लॉन्ग पोजीशन की फंडिंग में किया। डीलरों ने यह जानकारी दी।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि आयातकों के बीच डॉलर की मजबूत मांग थी, जिसका भारतीय रुपये पर और असर पड़ा। डॉलर के मुकाबले रुपया अंत में 83.95 पर टिका, जो मंगलवार को 83.96 पर रहा था। छह अहम मुद्राओं के बास्केट के मुकाबले डॉलर की माप करने वाला डॉलर इंडेक्स बुधवार को बढ़कर 103.28 पर पहुंच गया, जो गुरुवार को 103.11 पर रहा था।
नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (एनडीएफ), हाजिर ओटीसी और फ्यूचर मार्केट में डॉलर बिक्री के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया ताकि विनिमय दर के उतारचढ़ाव पर लगाम रहे। बाजार के प्रतिभागियों ने यह जानकारी दी।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख व कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, भारतीय रुपया गिरकर नए निचले स्तर 83.9725 तक चला आया क्योंकि आरबीआई ने इस स्तर पर डॉलर की बिकवाली के जरिये अपनी मौजूदगी दिखाई। इसने 83.87 का उच्चस्तर बनाया, लेकिन इस स्तर पर डॉलर की खरीद की गई ताकि इसे 83.96 पर वापस भेजा जा सके, जो 84 से थोड़ा ही नीचे है।
इसके अतिरिक्त बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई ने कुछ बैंकों को रुपये के खिलाफ सटोरिया ट्रेडिंग से दूर रहने को कहा है।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, बाजार में सुना गया है कि आरबीआई कुछ अग्रणी बैंकों की ट्रेडिंग सीमा व पोजीशन की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा, जब भी ज्यादा उतारचढ़ाव या एकतरफा चाल देखने को मिलती है तो आरबीआई एहतियात बरतता है।
अगस्त 2023 में आरबीआई ने डॉलर-रुपये के आर्बिट्रेज ट्रेड पर पाबंदी लगाई थी ताकि रुपये को रिकॉर्ड निचले स्तर को छूने से रोका जा सके। बैंक इस अवधि में ओटीसी व एनडीएफ के बीच कीमत के अंतर का फायदा उठा रहे थे। ये पाबंदियां फरवरी में हटा ली गईं।