अमेरिका में महंगाई के उम्मीद से ज्यादा उच्च आंकड़ों के बाद निवेशकों के सुरक्षित ठिकाने की ओर बढ़ने के चलते भले ही ज्यादातर एशियाई मुद्राओं की पिटाई हुई, लेकिन भारतीय रुपये का प्रदर्शन उनके मुकाबले थोड़ा बेहतर रहा। हालांकि रुपया डॉलर के मुकाबले 78 का स्तर तोड़ते हुए अब तक के निचले स्तर को छू गया।
कारोबारी सत्र के दौरान 78.28 के स्तर को छूने के बाद अंत में रुपया 78.04 प्रति डॉलर पर टिका जबकि पिछला बंद भाव 77.84 था।
डॉलर के मुकाबले रुपया 0.25 फीसदी टूटा जबकि अन्य एशियाई मुद्राओं मसलन दक्षिण कोरिया के वॉन में 1.22 फीसदी, इंडोनेशिया के रुपैया में 0.9 फीसदी और फिलिपींस के पेसो में 0.6 फीसदी गिरावट दर्ज हुई।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (करेंसी डेरिवेटिव्स व ब्याज दर डेरिवेटिव्स) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, आरबीआई के भारी हस्तक्षेप की आशंका है, दोनों जगह यानी हाजिर और फॉरवर्ड। ऐसे कथित हस्तक्षेप के कारण ही आज रुपया दुनिया की सबसे मजबूत मुद्राओं में से एक है।
बनर्जी ने कहा, आने वाले समय में (बुधवार की फेड की बैठक तक) डॉलर बनाम रुपये में बढ़त का खासा दबाव देखने को मिल सकता है। 75 आधार अंकों की ब्याज बढ़ोतरी अमेरिकी डॉलर के लिए सकारात्मक है। हालांकि हमें लगता है कि आरबीआई इस बढ़त पर लगाम कसेगा। हम अल्पावधि में इसका दायरा हाजिर बाजार में 77.90 से 78.40 देख रहे हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रायशुमारी के मुताबिक, अल्पावधि में रुपया किनारे रह सकता है और इसमें तेज गिरावट शायद नहीं आएगी क्योंकि आरबीआई डॉलर की खरीद के जरिए सहारा देना जारी रख सकता है।
आईएफए ग्लोबल के सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, वैश्विक जोखिम के कारण भारतीय रुपये ने प्रतिक्रिया जताई, हालांकि इसकी रफ्तार आरबीआई के कदम के चलते संतोषजनक थी। अन्यथा डॉलर के मुकाबले वैश्विक मुद्राएं खासी कमजोर हुई हैं।
गोयनका ने कहा, हम इसमें कमजोरी देख सकते हैं, अगर तेल 120 से ऊपर टिका रहता है और वैश्विक जोखिम की अवधारणा में सुधार नहीं होता। अमेरिका में मंदी की संभावना हर दिन बलवती हो रही है।
विदेशी विनिमय बाजार में केंद्रीय बैंक हस्तक्षेब जारी रख सकता है, पर रुपये पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि कमजोर फंडामेंटल के साथ ब्रेंट क्रूड के 120 डॉलर के आसपास रहने से भी व्यापार घाटा 3.5 फीसदी होने की चिंता बढ़ी है।
फरवरी में रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले के बाद रुपये में तेजी से गिरावट शुरू हो गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी विनियम बाजारों में आक्रामकता से हस्तक्षेप कर रहा है और इस गिरावट की रफ्तार कम करने की कोशिश कर रहा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा को तेजी से गिरने की इजाजत नहीं देगा, साथ ही कहा कि केंद्रीय बैंक का किसी खास स्तर का लक्ष्य नहीं है।
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबारी ने कहा, कमजोर फंडामेंटल रुपये पर असर डाल रहा है और ब्रेंट क्रूड 120 डॉलर प्रति बैरल के पास है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ने की संभावना है। साथ ही अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें और पूंजी निकासी की चिंता बढ़ा रहा है।