सोमवार को डॉलर सूचकांक में कमजोरी के बावजूद रुपया 9 पैसे गिरकर 83.35 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ, क्योंकि बैंकों ने तेल कंपनियों और अन्य आयातकों की ओर से डॉलर खरीदे। शुक्रवार को रुपया 83.27 पर बंद हुआ था। भारतीय मुद्रा के लिए पिछला सर्वाधिक निचला स्तर 19 नवंबर को 83.34 रुपया प्रति डॉलर था।
रुपये ने समान दिन डॉलर के मुकाबले दिन के कारोबार में 83.48 का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। 6 प्रमुख मुद्राओं के खिलाफ डॉलर के प्रदर्शन को मापने वाला डॉलर सूचकांक गिरकर 103.57 पर आ गया, जो शुक्रवार को 104.16 पर था।
बाजारों का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरें अपने चरम बिंदु पर पहुंच चुकी हैं और अब फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक हालात में नरमी शुरू किए जाने की उम्मीद है। इन उम्मीदों से डॉलर में कमजोरी आई। सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘आयातकों से डॉलर के लिए अच्छी मांग देखी गई। आरबीआई ने आज बाजार में दिलचस्पी नहीं दिखाई।’
चालू सप्ताह में स्थानीय मुद्रा में 83.10 से 83.45 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार होने का अनुमान है। नवंबर में, रुपया 0.1 प्रतिशत तक गिरा था। चालू वित्त वर्ष में, रुपया 1.4 प्रतिशत तक कमजोर हुआ है, जबकि मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अब तक यह 0.7 प्रतिशत गिर चुका है। हालांकि मजबूत विदेशी प्रवाह की मदद से चालू कैलेंडर वर्ष के पहले 6 महीनों में रुपया 0.16 प्रतिशत तक चढ़ा है।
डीलरों का कहना है कि इस बीच, 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल 4 आधार अंक तक बढ़कर सोमवार को 7.26 प्रतिशत रहा, क्योंकि म्युचुअल फंडों ने मुनाफे में बॉन्ड बेचे। एक अन्य डीलर ने कहा, ‘म्युचुअल फंडों द्वारा बिकवाली की गई थी, क्योंकि उन्होंने मुनाफावसूली पर जोर दिया।’
10 वर्षीय प्रतिफल शुक्रवार को 7.22 प्रतिशत पर बंद हुआ। सुंदरम ऐसेट मैनेजमेंट में कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य निवेश अधिकारी (डेट) द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ‘कुछ मुनाफावसूली हुई और अन्य समस्या मुद्रास्फीति की आशंका भी थी। कच्चा तेल चढ़कर करीब 82 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। कारोबारियों को इन सब बातों का ध्यान रखना होगा।’
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.7 प्रतिशत तक चढ़कर 81.14 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस तेजी के लिए दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब द्वारा अगले साल तेल उत्पादन कटौती की योजना को माना जा रहा है। इसके अलावा, ओपेक+ भी कीमतें नियंत्रित करने और इजरायल-हमास टकराव से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखकर उत्पादन में और कटौती पर विचार कर रहा है।
बाजार की नजर बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैठक के परिणाम पर टिकी हुई है। हालांकि बाजार का मानना है कि अमेरिकी दर निर्धारण समिति ताजा अनुकूल आर्थिक आंकड़े को ध्यान में रखते हुए दर वृद्धि पर विचार कर सकती है।
सीएमई फेडवॉच टूल के अनुसार, 99.8 प्रतिशत कारोबारियों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दिसंबर में ब्याज दरें अपरिवर्तित रखेगा, जबकि शेष कारोबारियों को 25 आधार अंक दर वृद्धि का अनुमान है।