इक्विटी म्युचुअल फंड (MF) योजनाओं की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (AUM) में रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार तीसरे साल भी घट गई। इस दौरान रिटेल एयूएम दोगुनी से ज्यादा होने के बावजूद ऐसा हुआ।
भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (AMFI) के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी योजनाओं में खुदरा निवेशकों की एयूएम में भागीदारी वित्त वर्ष 2021 के अंत में 55 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 52.8 प्रतिशत रह गई। संपूर्ण आधार पर एयूएम 5.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.4 लाख करोड़ रुपये हो गई।
इस अवधि में अमीर (HNI) निवेशकों की भागीदारी 35.5 प्रतिशत से बढ़कर 38.3 प्रतिशत हो गई और इसके साथ ही उनकी एयूएम भी 3.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हाल के वर्षों में इक्विटी बाजार में तेजी के बीच इक्विटी फंडों की योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है।
एसआईपी (SIP) के जरिये निवेश पिछले तीन साल में लगातार बढ़ा है। मासिक सकल एसआईपी निवेश मार्च 2021 से दोगुना से ज्यादा बढ़कर मई 2024 में करीब 21,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
एम्फी के अनुसार एक बार में 200,000 रुपये से ज्यादा निवेश से जुड़े किसी म्युचुअल फंड निवेश खाते को एचएनआई अकाउंट माना जाता है। वहीं शेष गैर-संस्थागत निवेश खातों को रिटेल की श्रेणी में रखा गया है।
आनंद राठी वेल्थ के उप मुख्य कार्याधिकारी फिरोज अजीज ने कहा, ‘भारतीय निवेशकों ने हमेशा से डेट पर जोर दिया है, लेकिन बढ़ती वित्तीय समझ के साथ वे अब इक्विटी निवेश में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पिछले तीन साल में इक्विटी वाली योजनाओं में एचएनआई के पोर्टफोलियो की संख्या में करीब 100 प्रतिशत इजाफा हुआ है। पिछले तीन महीने में यह वृद्धि करीब 8 प्रतिशत रही। बी-30 शहरों के अमीर निवेशकों की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है। 27 प्रतिशत एचएनआई सीधे निवेश करते हैं। परिसंपत्ति वर्ग की पसंद में आए बदलाव में नियामक सेबी, उद्योग संस्था एम्फी के साथ साथ एएमसी और वितरकों का बड़ा योगदान रहा है।’
आंकड़ों से पता चलता है कि एचएनआई निवेशकों के इक्विटी फंड निवेश खाते (फोलियो) में औसतन 11 लाख रुपये थे जबकि रिटेल फोलियो के मामले में यह राशि 100,000 रुपये थी। कुल मिलाकर व्यक्तिगत निवेशकों (रिटेल और एचएनआई) का 91 प्रतिशत के साथ सक्रिय इक्विटी एयूएम में दबदबा बना हुआ है।
हाइब्रिड योजनाओं में भी इनकी भागीदारी 84 प्रतिशत है। इसके विपरीत डेट फंडों और पैसिव फंडों में संस्थागत दबदबा है। लिक्विड फंडों और मनी मार्केट फंड जैसे कम अवधि वाले डेट फंडों में 80 प्रतिशत से अधिक संस्थागत निवेश था।
गिल्ट फंडों में मार्च 2024 में 32,000 करोड़ रुपये के एयूएम में कॉरपोरेट भागीदारी 51 प्रतिशत थी। 44 प्रतिशत भागीदारी के साथ एचएनआई दूसरी सबसे बड़ी निवेशक श्रेणी थी। शेयरधारिता पैटर्न अन्य डेट योजनाओं और इंडेक्स फंडों में समान था।
निवेशक मिश्रण के संदर्भ में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) 6.6 लाख करोड़ की एयूएम के साथ सबसे आगे रहे। संस्थागत निवेशकों का कुल एयूएम में करीब 91 प्रतिशत योगदान रहा।