हाल ही में शेयर बाजार में आए उथल-पुथल और बड़े शेयरों की कीमतों में आई गिरावट के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्राइमरी इक्विटी मार्केट से जुड़े विभिन्न मुद्दों की व्यापक समीक्षा शुरू कर दी है।
सेबी और शेयर बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आईपीओ डीमैट घोटाले के बाद गठित संसदीय स्थायी समिति और एक्सिस बैंक के अध्यक्ष पी. जे. नायक की अध्यक्षता वाली सिक्योरिटी मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर लेवेरेजिंग एक्सपर्ट टॉस्क फोर्स (स्माइल) की सिफारिशों के आधार पर ही सेबी ने प्राइमरी इक्विटी मार्केट से जुड़े मुद्दों की समीक्षा शुरू की है।
सेबी जिन मुद्दों पर समीक्षा करेगी उसमें मुख्य रूप से आईपीओ की कीमतें, आईपीओ में खुदरा क्षेत्रों के छोटे निवेशकों के लिए आरक्षण, आईपीओ में लिस्टिंग के लिए लगने वाले समय को कम किया जाना, अनाबंटित आईपीओ शेयरों के मामले में रिफंड सिस्टम और किसी कंपनी में लोगों की कम हिस्सेदारी आदि शामिल है।
ऐसा कहा जा रहा है कि खुदरा क्षेत्रों में आरक्षण को खत्म कर दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन क्षेत्रों में छोटे निवेशकों का आधार बहुत व्यापक नहीं है। जानकारों का मानना है कि आईपीओ में छोटे निवेशकों को आवंटन उचित तरीके से किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि साल 2006 में नेशनल सिक्योरिटी डिपोजटरी (एनएसडीएल) ने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें एनएसडीएल ने सुझाव दिया था कि आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए कोटा आरक्षण का उन्मूलन कर दिया जाना चाहिए।बहरहाल, वर्तमान में संस्थागत निवेशकों को आईपीओ में 50 फीसदी आवंटित किया जाता है जबकि 15 फीसदी हाई नेटवर्थ वाले निवेशकों को दिया जाता है। बाकी 35 फीसदी छोटे निवेशकों के लिए आरक्षित किया जाता है।
हालांकि एनएसडीएल ने यह भी कहा था कि आईपीओ में छोटे निवेशकों के कोटे को तब तक जारी रखा जाना चाहिए जबकि कि आईपीओ संबंधी खामियों को दूर न कर लिया जाए। अब रेगुलेटर दोबारा से आईपीओ में मौजूदा बुक-बिल्डिंग प्रोसेस के बजाए फिक्सड प्राइस व्यवस्था की ओर देख रहे हैं।सूत्रों के बताया कि हाल के दिनों में ज्यादातर प्रमोटरों ने आईपीओ की बुक-बिल्डिंग व्यवस्था की खामियों को लेकर सवाल उठाया था।
बहरहाल, रेगुलेटर ने सैध्दांतिक आधार पर यह फैसला किया है कि एक्सचेंज में लिस्टेड होने के नाते सभी प्रमोटरों को अपने 25 फीसदी शेयर पब्लिक को देने होंगे। कंपनियों को इस फैसले के अमल के लिए अधिसूचना आने के बाद से छह महीने से एक साल तक का समय दिया जा सकता है। आईपीओ प्रक्रिया में होने वाली देरी को कम करने और अनावंटित शेयरों पर रिफंड जल्दी लौटाने पर भी सेबी विचार कर रही है।