अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा कि इस समय भारतीय बैंकों की एक दशक से अधिक समय में अपनी सबसे मजबूत बैलेंस शीट है। इसकी वजह परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार और प्रोविजन की अच्छी गुंजाइश होना है।
पिछले दशक में इस क्षेत्र का मुनाफा चार गुना होने और वित्त वर्ष 2011 से पूंजी पर प्रतिफल (ROI) सबसे ऊंचा है जो इस क्षेत्र के लिए औसत तौर पर 15 प्रतिशत है। सीएलएसए का मानना है कि भारतीय बैंक उतार-चढ़ाव भरे दशक के बाद अब बेहतर स्थिति में हैं।
यह संभावना जताई जा रही है कि निजी क्षेत्र के बैंक (जो पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजार में पिछड़े रहे हैं) अच्छे कारोबारी परिदृश्य और सस्ते भावों (निफ्टी 50 के 18 गुना के मुकाबले 10-15 गुना पीई) को देखते हुए आगे बेहतर रिटर्न देंगे।
ब्रोकरेज ने आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड बैंक को सबसे ऊपर छांटा है। यहां ऐसे कुछ प्रमुख कारकों को बताया जा रहा है जिनकी वजह से सीएलएसए भारतीय बैंकों पर उत्साहित है:
स्वच्छ बैलेंस शीट, शानदार मुनाफा
सीएलएसए के अनुसार बैंकों की बैलेंस शीट पांच या दस साल पहले की तुलना में अब ज्यादा मजबूत है। इसके अलावा, वे न सिर्फ अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं बल्कि फंसे कर्ज की समस्या भी एक दशक में सबसे कम है। जहां वित्त वर्ष 2018 में उनका एनपीएल/नेटवर्थ अनुपात 44 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच गया था, वहीं वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 6 प्रतिशत रह गया।
मुनाफे के मोर्चे पर, स्टैंडअलॉन लाभ 80,000 करोड़ रुपये से चार गुना बढ़कर पिछले 10 साल में 3.4 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो 16 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर है।
पूंजी पर्याप्तता
पीएसयू और निजी क्षेत्र के बैंकों दोनों ने हाल के वर्षों में अपनी पूंजी स्थिति मजबूत बनाई है और उनके टियर-1 अनुपात वित्त वर्ष 2023 तक सुधर कर क्रम से 13 प्रतिशत और 17 प्रतिशत हो गए।
सीएलएसए का मानना है कि नियामकीय बदलावों की वजह से वित्त वर्ष 2024 में मामूली गिरावट के बावजूद बैंक अच्छी तरह से पूंजीकृत बने हुए हैं जिससे निरंतर लाभ और विकास की संभावनाओं को ताकत मिल रही है।
ऋण वृद्धि
बैंकिंग क्षेत्र की ऋण वृद्धि हाल के वर्षों में बढ़कर 15 प्रतिशत पर पहुंची है जो पिछले दशक के 10 प्रतिशत के औसत से अधिक है। यह वृद्धि सभी क्षेत्रों से जुड़ी हुई है जो संभवतः कॉरपोरेट बॉन्डों से बदलाव के कारण हुई है। निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा बाजार भागीदारी बढ़ाने, चालू खाता जमा में अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त का लाभ उठाने और गैर-जमा उधारी में कमी आने की उम्मीद है।
जमा वृद्धि परिदृश्य
हाल के वर्षों में जमा वृद्धि में अस्थायी सुस्ती देखी गई, जिसका कारण आरक्षि धन वृद्धि में नरमी थी। सीएलएसए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘खासकर चालू खाता (सीए) जमा अनुपात में 7-8 प्रतिशत अंक के अंतर से निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए जमा लागत में 30 आधार अंक की बचत को बढ़ावा मिलगा।
इसलिए जहां निजी क्षेत्र के बैंक मियादी जमाओं पर ऊंची ब्याज दरों की पेशकश करते हैं और बड़ी जमाओं में मजबूत भागीदारी रखते हैं, वहीं जमाओं की कुल लागत पीएसयू बैंकों की तुलना में प्रतिस्पर्धी है।’
क्षेत्र का प्रदर्शन और मूल्यांकन
पिछले पांच वर्षों के दौरान, पीएसयू बैंकों (PSU Banks) ने निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में करीब 100 प्रतिशत अंक तक बेहतर प्रदर्शन किया।
विश्लेषकों का कहना है कि शेयर बाजार में पिछड़ने के बावजूद निजी क्षेत्र के बैंकों को अनुकूल व्यावसायिक संभावनाओं और आकर्षक मूल्यांकन (निफ्टी 50 के 18 गुना की तुलना में 10-15 गुना पीई अनुपात) के कारण आगे बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है।