रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का शेयर पिछले कुछ महीनों से तेजी से बढ़ा है। इससे शेयर का मूल्यांकन बढ़ गया है। इन ऊंचे मूल्यांकन को उचित ठहराने के लिए दलाल पथ पर कई विश्लेषकों ने आरआईएल को कथित तौर पर एफएएएनजी यानी फांग (फेसबुक, एमेजॉन, ऐपल, नेटफ्लिक्स और अल्फाबेट-पूर्व में गूगल) शेयर कहना शुरू कर दिया है। फांग शेयरों वाली अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 5 लाख करोड़ डॉलर है। इन शेयरों के मूल्यांकन में भारी तेजी दर्ज की गई है और ये बाजार के मुकाबले काफी ज्यादा पी/ई मल्टीपल वाले हैं।
आरआईएल तेल-से-रसायन (ओ2सी) व्यवसाय के साथ साथ नए जमाने के डिजिटल (जियो के जरिये) और रिटेल व्यवसाय में किस्मत आजमाने में भी सफल रही है। इसलिए क्या यह विविधता-केंद्रित भारी मूल्यांकन फांग शेयरों जैसा है? घरेलू ब्रोकरेज एडलवाइस इससे अलग इत्तफाक रखती है।
एडलवाइस के विश्लेषक जल ईरानी ने इस शेयर को 2,105 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ खरीदारी से हटाकर बनाए रखें की रेटिंग देने वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘आरआईएल का फांग जैसा मूल्यांकन (खासकर जियो का) गलत है, क्योंकि ओटी2सी और दूरसंचार का कुल वैल्यू में 70 प्रतिशत का योगदान है।’ मंगलवार को आरआईएल काशेयर 2,177 रुपये पर बंद हुआ।