बाजार

पीई-वीसी की नजर ज्यादा हिस्सेदारी पर

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा, पीई-वीसी आईपीओ के बाद भी हिस्सा बनाए रखने के लिए तैयार।

Published by
खुशबू तिवारी   
Last Updated- November 19, 2024 | 9:46 PM IST

भारत में नई पीढ़ी की कंपनियों की कामयाब सूचीबद्धता के एक साल बाद प्राइवेट इक्विटी और उद्यम पूंजी कंपनियां अब अपने निवेश को लंबी अवधि तक बनाए रखने के लिए तैयार हैं। ये बातें उद्योग की कंपनियों ने कही। द्वितीयक सौदे हालांकि उत्साहजनक बने हुए हैं। लिहाजा ऐसी स्टार्टअप में बेहतर प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि तक उनमें निवेशित रहने की उनकी इच्छा भी बढ़ी है।

लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स के अनुज भार्गव ने कहा कि भारत में आईपीओ बाजार निकासी के लिए एक बहुत ही व्यावहारिक रास्ता प्रदान करता है। पीई और वीसी दोनों अब इसे निकासी के एक बेहतरीन अवसर के रूप में देख रहे हैं, जिसमें प्री-आईपीओ दौर भी शामिल है। गैर-सूचीबद्ध बाज़ार में भी बहुत सक्रियता है। इस साल 55 अरब डॉलर की इक्विटी गतिविधियों में से 14.5 अरब डॉलर आईपीओ के माध्यम से रही जबकि 23 अरब डॉलर द्वितीयक रही।

हालांकि, कई लोगों का मानना है कि लिस्टिंग के बाद के लाभ का अंदाजा लगाने के लिए निकासी रोडमैप भी अब फिर से लिखा जा रहा है। 3वन4 कैपिटल के संस्थापक भागीदार सिद्धार्थ पई ने कहा कि पीई/वीसी निवेशकों के लिए आईपीओ अभी भी सबसे पसंदीदा निकास विकल्प है। लेकिन लिस्टिंग के बाद मूल्यांकन में उछाल ने कई लोगों को आईपीओ के दौरान बिक्री के अपने प्रस्तावों पर फिर से विचार के लिए प्रेरित किया है। फंड भी सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध बाजारों के बीच अंतर को बढ़ाते हुए क्रॉस-ओवर फंड बन रहे हैं।

पई ने कहा कि कुछ दिनों के अंतर का मतलब उनके द्वारा अर्जित रिटर्न में 20-40 फीसदी का अंतर हो सकता है। आईपीओ के बाद फंड को कुछ समय के लिए निवेशित रखने की अनुमति के लिए एग्जिट रोडमैप को बुनियादी तौर पर फिर से लिखा जा रहा है। पई इंडियन वेंचर ऐंड ऑल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन की नियामकीय मामलों की समिति के सह-अध्यक्ष भी हैं।

भारत में आईपीओ प्रक्रिया 12 से 18 महीने तक चल सकती है। जहां कुछ फंडों ने स्विगी में प्री-आईपीओ निकास को चुना, वहीं अन्य ने फर्स्टक्राई के आईपीओ से पहले अपनी निकास योजनाओं में बदलाव किया जिससे फंड जुटाने के आकार में कमी आई।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल एक और पीई समर्थित बड़ी लिस्टिंग हो सकती है। विशाल मेगा मार्ट साल के अंत में अपना 8,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लॉन्च करने की योजना बना रही है। कई लोगों ने इस वर्ष को परिवर्तन बिंदु कहा है क्योंकि भारत में अमेरिकी बाजारों की तुलना में अधिक तकनीकी आईपीओ आए।

बाजारों में पिछले दो महीनों से चल रही गिरावट ने नव-सूचीबद्ध स्टार्टअप्स पर रिटर्न को खत्म कर दिया है लेकिन आईपीओ की तलाश वाली पीई-समर्थित कंपनियों को लेकर मनोबल मजबूत बना हुआ है। जेएसए एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में पार्टनर और नैशनल कॉरपोरेट लीड इकबाल खान की राय है कि भारत के आईपीओ बाजार का शानदार प्रदर्शन पीई फंडों को अपनी रणनीतियों की समीक्षा के लिए मजबूर कर रहा है।

खान ने कहा कि यह प्राइवेट इक्विटी फंडों को बाजार की अनुकूल स्थितियों का लाभ उठाने और निकास मूल्य को अधिकतम करने के लिए अपेक्षाकृत कम बिक्री वाले नीलामी मार्ग के बजाय लंबी आईपीओ प्रक्रियाओं को अपनाने की रणनीतियों के हिसाब से चलने के लिए प्रेरित कर रहा है।

ब्लैकस्टोन समर्थित दो कंपनियां वेंटिव हॉस्पिटैलिटी और इंटरनैशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (आईजीआई) भी इस वित्त वर्ष में लिस्टिंग कराना चाहती है। सूत्रों के अनुसार भारत का सबसे बड़ा पीई निवेशक ब्लैकस्टोन प्रतिक्रिया के आधार पर अपनी हिस्सेदारी का कुछ भाग अपने पास रख सकता है।

ब्लैकस्टोन और उसके स्थानीय साझेदार का लक्ष्य वेंटिव हॉस्पिटैलिटी में 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचकर 2,000 करोड़ जुटाने का है जबकि आईजीआई में इसी आकार की बिक्री से 4,000 करोड़ मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों ने कहा कि बाजारों में आशावाद के साथ-साथ नियामक प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है जिससे इकोसिस्टम को मदद मिली है।

अब मंजूरी फाइलिंग की तारीख से करीब तीन महीने में हो रही है। हालांकि अब सख्ती से जांच हो रही है और विशिष्ट सवाल पूछे जा रहे हैं। नियामक अभी भी पीई के उठाए मुद्दों को सुनने के लिए उत्सुक है। हाल में वह दस्तावेज़ दाखिल करने के मामले में पीई के विशेष अधिकारों पर अपने फैसले से भी पीछे हट गया। सेबी ने 2022 में आईपीओ के लिए मसौदा दस्तावेजों के लिए गोपनीय फाइलिंग मार्ग की भी अनुमति दी थी, जिसके बारे में उद्योग प्रतिभागियों का मानना है कि इससे स्टार्टअप को परीक्षण करने में मदद मिलती है।

First Published : November 19, 2024 | 9:46 PM IST