पिछले छह से नौ महीने ठंडे पड़े रहने के बाद इस साल प्राइवेट इक्विटी फंडों की रुचि रियल एस्टेट सेक्टर में फिर से जग सकती है।
रियल्टी फंडों और निवेशकों के सलाहकारों का इन फंडों से कहना है कि रियल एस्टेट के भाव 33 फीसदी गिर चुके हैं और निवेशकों के लिए काफी आकर्षक हो गए हैं।
रियल एस्टेट की कीमतों में आई भारी गिरावट और वैश्विक मंदी को देखते हुए ज्यादातर फंडों ने पिछले कुछ महीनों में कोई डील नहीं की है और इस सेक्टर में निवेश खासा धीमा पड़ गया।
भारतीय बाजार पर केंद्रित रियल एस्टेट फंड रेड फोर्ट कैपिटल जो अभी तक प्रॉपर्टी बाजार में 1500 करोड़ का निवेश कर चुका है, के पार्टनर सुभाष बेदी के मुताबिक आज की तारीख में जो पैसा निवेश के लिए उपलब्ध है,वह पहले की तुलना में दसवां हिस्सा भी नहीं है।
लेकिन इंडिया स्पेसिफिक फंड, जिन्होंने पहले ही पैसा उगाह रखा है, वे इस तिमाही में पिछली तिमाही में तय की गई रकम से ज्यादा निवेश करेंगे।
रेड फोर्ट भी इस तिमाही में 150 करोड़ का निवेश करने की योजना बना रही है और इसके लिए उसकी मुंबई के एक डेवलपर से बातचीत भी हो रही है।
हालांकि बेदी के मुताबिक फाइनेंस सबसे बड़ा मुद्दा है क्योकि ज्यादातर प्रोजेक्ट या तो देरी से चल रहे हैं या फिर शुरू ही नहीं हुए हैं।
उनके मुताबिक सबसे अहम सवाल जो हम अपने डेवलपर से पूछ रहे हैं वह यह कि क्या हमारी फंडिंग के बाद उनके पास इतना पैसा हो जाएगा कि उनके प्रोजेक्ट पूरे हो सकें?
आज की तारीख में डेवलपर की प्रोजेक्ट पूरा करने की क्षमता बहुत अहम है क्योंकि अगले चार साल में दस में से सात प्रोजेक्ट कागज पर होंगे। अजट पीरामल प्रवर्तित रियल एस्टेट फंड इंडियारीट इस साल हाउसिंग परियोजनाओं पर 300 करोड़ का निवेश करने जा रहा है।
2005 से 2007 के बीच 1400 का करोड़ का निवेश करने के बाद फंड ने 2008 में कोई निवेश नहीं किया। फंड के एमडी रमेश जोगानी के मुताबिक 2008 में भाव काफी ज्यादा रहे हैं।
लिहाजा मांग कम होने से प्रॉपटी की कीमतें और किराए पिछले साल के उच्चतम स्तर से 10 से 30 फीसदी तक नीचे आ गए हैं और एनेलिस्टों का मानना है कि इस साल भी ऐसी ही गिरावट देखने को मिलेगी क्योंकि लोग बुकिंग टाल रहे हैं।
2007 की तुलना में 2008 में रियल एस्टेट में प्राइवेट इक्विटी का प्रवाह 61 फीसदी कम हुआ है। 2008 में पीई फंडों ने घरेलू रियल एस्टेट बाजार में करीब 14,500 करोड़ का निवेश किया जबकि 2007 में 38,500 करोड़ का निवेश किया गया था।
प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट और निवेश घटने के बावजूद एनालिस्टों का मानना है कि इस सेक्टर में फंड आएंगे क्योंकि घरेलू और ऑफशोर प्रॉपर्टी फंडों के पास निवेश के लिए करीब 33,600 करोड़ का फंड है।