शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान पर हमला करने की खबर के बाद दुनियाभर में तेल की कीमतें तेज़ी से बढ़ गईं। ब्रेंट क्रूड नाम का कच्चा तेल 11% तक चढ़ गया और दिन के दौरान 75.32 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जो कि 2 अप्रैल के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। वहीं अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) कच्चा तेल 7.91% बढ़कर 73.42 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह 3 फरवरी के बाद सबसे ऊंचा भाव है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ये हमले ईरान की परमाणु फैक्ट्रियों, मिसाइल बनाने वाली जगहों और सैन्य ताकत को नुकसान पहुंचाने के लिए किए गए हैं। उधर ईरान की मीडिया का कहना है कि शुक्रवार तड़के राजधानी तेहरान में तेज़ धमाकों की आवाजें सुनी गईं। ईरान ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है और वह जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
ऊर्जा मामलों के जानकार सॉल कावोनिक का कहना है कि अगर यह टकराव और बढ़ा और ईरान ने किसी देश के तेल स्टोरेज या पाइपलाइन पर हमला किया, तो पूरी दुनिया में तेल की सप्लाई पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा खतरा तब होगा अगर ईरान ‘हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य’ को बंद कर दे, जो एक अहम रास्ता है जहां से हर दिन लगभग 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल भेजा जाता है।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि इजरायल ने जो किया, वो उसकी अपनी कार्रवाई है और अमेरिका इसमें शामिल नहीं है। रुबियो ने साथ ही ईरान को यह चेतावनी दी कि वह अमेरिका के सैनिकों या उनके ठिकानों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करे। इस तनाव के बाद दुनिया के शेयर बाजारों में गिरावट शुरू हो गई। एशियाई बाज़ारों में अमेरिकी फ्यूचर्स की बिकवाली से भारी दबाव दिखा। निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए सोने और स्विस करेंसी (स्विस फ्रैंक) जैसे सुरक्षित साधनों में पैसा लगाना शुरू कर दिया है।
फिलिप नोवा की विशेषज्ञ प्रियांका सचदेवा ने कहा कि ईरान के हमले की तैयारी और अन्य तेल उत्पादक देशों में इसका असर फैलने की आशंका ने बाजार में डर बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका इस तनाव में और गहराई से शामिल हुआ, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। IG मार्केट के टोनी सायकामोर ने कहा, “जब तक ईरान की ओर से कोई जवाब नहीं आता, बाजार में घबराहट बनी रहेगी और निवेशक जोखिम वाले सौदों से दूर रहेंगे।”