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NSE ने की शानदार कमाई, मुनाफा बेहतर

वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 2,000 सूचीबद्ध कंपनियों में से केवल 37 फर्मों ने ही ज्यादा मुनाफा दर्ज किया है जबकि बाकी का मुनाफा कम रहा है।

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सचिन मामपट्टा   
समीर मुलगांवकर   
Last Updated- September 14, 2023 | 10:10 PM IST

जिस स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनियों के शेयरों का कारोबार होता है, उसने उन अधिकांश कंपनियों की तुलना में ज्यादा मुनाफा कमाया है जिनके शेयर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 2,000 सूचीबद्ध कंपनियों में से केवल 37 फर्मों ने ही ज्यादा मुनाफा दर्ज किया है जबकि बाकी का मुनाफा कम रहा है।

पिछले सात वर्षों के कंपनियों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनका मुनाफा भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन लाभ के लिहाज से नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनियों की संख्या घट रही है। इस विश्लेषण में उन कंपनियों को शामिल किया गया है जिनका वित्त वर्ष मार्च में समाप्त होता है और जिनके 12 महीनों से अधिक के आंकड़े हैं।

वित्त वर्ष 2017 में 474 कंपनियों ने अधिक शुद्ध बिक्री दर्ज की जबकि 93 कंपनियों का मुनाफा ज्यादा रहा। इसका मतलब साफ है कि 75 फीसदी कंपनियों की शुद्ध बिक्री कम रही और 95 फीसदी ने कम मुनाफा कमाया। मगर अब ये आंकड़े बदल चुके हैं। कम बिक्री दर्ज करने वाली कंपनियों की तादाद बढ़कर 91 फीसदी हो चुकी है जबकि 98 फीसदी कंपनियों का मुनाफा कम रहा है।

वित्त वर्ष 2023 में एनएसई ने 11,181 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री पर 7,232.9 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। एनएसई से अधिक मुनाफा दर्ज करने वाली कंपनियों में सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज (8,473.6 करोड़ रुपये), भारती एयरटेल (8,345.9 करोड़ रुपये) और मारुति सुजूकी इंडिया (8,211 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

इसी प्रकार एनएसई के मुकाबले कम मुनाफा दर्ज करने वाली कंपनियों में बजाज ऑटो (6,060.2 करोड़ रुपये), अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड (5,310.2 करोड़ रुपये) और अदाणी पेंट्स (4,106.5 करोड़ रुपये) शामिल हैं। वित्त वर्ष 2017 के दौरान नकदी बाजार में शेयरों की खरीद-फरोख्त के कुल मूल्य में एनएसई पर हुए लेनदेन की हिस्सेदारी 83 फीसदी से अधिक रही। मगर वित्त वर्ष 2023 तक यह 93 फीसदी हो गई।

डेरिवेटिव श्रेणी में एनएसई का वर्चुअल वर्चस्व था जहां सीमित बाजार जोखिम वाले अनुबंधों की खरीद-बिक्री की इजाजत है। वित्त वर्ष 2023 के दौरान डेरिवेटिव में एनएसई की बाजार हिस्सेदारी 98 फीसदी थी जबकि वित्त वर्ष 2017 में यह 100 फीसदी थी। स्टॉक एक्सचेंज कारोबार में कम प्रतिस्पर्धा होने और बाजारों में तेजी से उसके मुनाफे को बल मिला।

बीएसई के लाभप्रदता के आंकड़े भी लगभग इसी तरह के हैं, मगर बीएसई की बाजार हिस्सेदारी घट रही है। बीएसई पर सूचीबद्ध अधिकतर कंपनियां कुछ वर्ष पहले के मुकाबले अधिक मुनाफा दर्ज कर रही हैं। एशिया के इस सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज पर 4,000 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इनमें से करीब 3,759 कंपनियों के वित्त वर्ष 2017 से आंकड़े उपलब्ध हैं।

वित्त वर्ष 2017 में बीएसई पर सूचीबद्ध करीब 75 फीसदी कंपनियों ने एक्सचेंज के मुकाबले कम शुद्ध बिक्री दर्ज की थी, मगर वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 73 फीसदी रह गया। इस दौरान कम मुनाफा दर्ज करने वाली बीएसई कंपनियों का प्रतिशत 92 फीसदी से घटकर 85 फीसदी रह गया। वित्त वर्ष 2023 में बीएसई ने 709.4 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री पर 166.9 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया था।

जून तिमाही के दौरान एनएसई ने 9 फीसदी का मुनाफा दर्ज किया। इस दौरान बीएसई का शुद्ध मुनाफा बढ़कर 440 करोड़ रुपये रहा जिसे उसकी डिपॉजिटरी कंपनी सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त 407 करोड़ रुपये से बल मिला।

First Published : September 14, 2023 | 10:10 PM IST