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‘मई तक फेड की ब्याज कटौती नहीं’- विक्रम साहू

रोजगार के तंग बाजार ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से मार्च और मई में ब्याज कटौती की संभावना धूमिल कर दी है।

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समी मोडक   
Last Updated- February 25, 2024 | 10:25 PM IST

रोजगार के तंग बाजार ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से मार्च और मई में ब्याज कटौती की संभावना धूमिल कर दी है। बोफा सिक्योरिटीज के वैश्विक इक्विटी शोध प्रमुख विक्रम साहू ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक जून में ब्याज दरें घटाना शुरू कर सकता है। समी मोडक को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अमेरिकी चुनाव और फेड के मौजूदा रुख में बदलाव से इस साल उभरते बाजारों को लाभ होगा। बातचीत के मुख्य अंश…

वैश्विक इक्विटी पर किन बातों का असर हो रहा है?

हमारी आर्थिक टीम का अनुमान है कि इस साल वैश्विक वृद्धि में मामूली कमी देखने को मिलेगी। उसके बाद 2025 में धीरे-धीरे रिकवरी होगी। हमारा मानना है कि अमेरिका में आर्थिक नरमी की संभावना कम है क्योंकि महंगाई लगातार घट रही है और उपभोक्ताओं में मजबूती बरकरार है। हमारी दलील है कि फेड और यूरोपीय केंद्रीय बैंक समेत अहम केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कैलेंडर वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में शुरू कर सकते हैं।

फेड के मौजूदा रुख में बदलाव और इसके परिणामस्वरूप साल 2024 में नरम मौद्रिक नीति इक्विटी बाजारों को मजबूती दे सकती है। इसके अलावा 60 फीसदी से ज्यादा वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में इस साल राष्ट्रीय चुनाव होने हैं। मौजूदा सरकारी नीतियां वृद्धि को सहारा देने वाली हो सकती हैं, जो बाजारों के लिए सकारात्मक है। हालांकि हम तीन जोखिमों मौजूदा भूराजनीतिक विवाद, अमेरिका में महंगाई में संभावित बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर (खास तौर से अमेरिका में) राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी पर नजर बनाए हुए हैं।

फेड की ब्याज कटौती की संभावना पर बाजार की उम्मीदें बदल रही हैं। इस पर आपकी क्या राय है और वैश्विक इक्विटी और विदेशी निवेश पर इसका क्या असर होगा?

हमारा अनुमान है कि सेवा क्षेत्र की महंगाई बरकरार रह सकती है, जिसकी वजह रोजगार का तंग बाजार है और अब मार्च में फेड के मौजूदा रुख में बदलाव की संभावनाएं एकदम खारिज हो चुकी हैं। मई में भी दर कटौती की संभावना अब धूमिल हो गई है। हमें जून में ब्याज कटौती शुरू होने की उम्मीद है और इस साल तीन बार 25-25 आधार अंकों की कटौती हो सकती है।

फेड की ब्याज कटौती और इक्विटी निवेश के बीच स्पष्ट तौर पर नकारात्मक सह-सबंध है, खास तौर से उभरते बाजारों में। उदाहरण के लिए उभरते बाजारों ने मार्च 2022 में शुरू हुई फेड की ब्याज बढ़ोतरी के चक्र के बाद से संचयी तौर पर 158 अरब डॉलर की निकासी देखी है और फेड के मौजूदा रुख में बदलाव होगा तो निवेश फिर आ सकता है।

क्या आप अमेरिकी चुनाव को वैश्विक इक्विटी के लिए जोखिम के तौर पर देखते हैं या फिर यह प्रदर्शन में इजाफा करेगा?

अमेरिकी इक्विटी को देखें तो बाजारों ने चुनाव वाले वर्ष में औसतन 12 फीसदी का रिटर्न दिया है। भारतीय इक्विटी बाजारों का अमेरिकी इक्विटी बाजारों के साथ सह-संबंध 96 फीसदी का है, जो संभावित बढ़ोतरी का संकेत देता है।

अमेरिकी व भारतीय बाजारों में पिछले एक साल में भारी तेजी आई है। क्या इससे मौजूदा स्तर से संभावित बढ़ोतरी सीमित होगी?

हमारा मानना है कि दोनों बाजारों के लिए फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं और हम आय वृद्धि को लेकर किसी अहम जोखिम को नहीं पहचान पा रहे। हालांकि मूल्यांकन को देखते हुए उम्दा रिटर्न शेयरों के चयन पर निर्भर करेगा, खास तौर से अमेरिका में, जहां बाजारों में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कम है। भारतीय बाजारों में अभी भी लार्जकैप में मौके हैं, जहां मूल्यांकन उचित है (वित्तीय क्षेत्र)। इसके अलावा इंडस्ट्रियल में मौजूदा बढ़त के चक्र को देखते हुए सकारात्मक आय परिदृश्य है।

वैश्विक स्तर पर कौन से अहम बाजार अभी सबसे ज्यादा शानदार नजर आ रहे हैं?

अमेरिकी बाजार पर तेजी का हमारा नजरिया बरकरार है, जिसकी वजह संभावित नरम दरें, सुदृढ़ अर्थव्यवस्था और कंपनियों के ठोस फंडामेंटल हैं, जो उच्च ब्याज दर के बावजूद मजबूत बैलेंस शीट व लाभ के तौर पर नजर आ रहे हैं। हमारा रचनात्मक रुख भारत को लेकर भी है, जहां चुनाव के बाद सुधार हो सकते हैं और जो मौजूदा ढांचागत थीम मसलन वित्तीयकरण, डिजिटलीकरण, डीकार्बनाइजेशन, निजीकरण और आपूर्ति श्रंखला में बदलाव से लाभ हासिल कर रहा है।

इसके अलावा पश्चिम एशियाई क्षेत्रों को लेकर हमारा अनुकूल रुख है। इसकी वजह अहम अर्थव्यवस्थाओं का ऊर्जा पर आश्रित अर्थव्यवस्थाओं से डायवर्सिफाई करना है और उस पर खासा पूंजीगत व्यय हो रहा है। उदाहरण के लिए सऊदी अरब अगले 10 वर्षों में 3-4 लाख करोड़ डॉलर के पूंजीगत खर्च की योजना बना रहा है।

क्या भारत का महंगा मूल्यांकन निवेशकों के लिए बाधा है?

भारतीय बाजार वास्तव में सस्ते नहीं हैं, लार्जकैप का मूल्यांकन अभी भी जरूरत से ज्यादा बढ़ोतरी से खासा दूर है। बेंचमार्क एनएसई ​निफ्टी अभी एक साल आगे की आय के 21.5 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो लंबी अवधि के औसत 19 गुने से 13 फीसदी ज्यादा है। हम दलील दे सकते हैं कि मूल्यांकन में इजाफा जारी रह सकता है, क्योंकि भारत के आर्थिक हालात मजबूत हैं और चुनाव के बाद इसमें अहम सुधार की संभावना है।

हमारे भारतीय इक्विटी रणनीतिकार भारतीय बाजारों को लेकर सकारात्मक परिदृश्य बरकरार रखे हुए हैं जबकि आय पर उनका नजरिया तंग है। भारत के बेहतर आर्थिक हालात, सुदृढ़ देसी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरफ से उभरते बाजारों में निवेश बहाली की संभावना आदि से भारतीय बाजारों को लेकर उनकी उम्मीदें बरकरार हैं। मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों को लेकर सतर्कता बरतने का हमारा सुझाव है जहां मूल्यांकन काफी ज्यादा बढ़ चुका है।

First Published : February 25, 2024 | 10:25 PM IST