बाजार के इंडेक्स को फॉलो करने वाले पैसिव फंड्स की चमक अब कुछ फीकी पड़ रही है। एक समय इनकी हिस्सेदारी म्यूचुअल फंड के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) में तेजी से बढ़ रही थी, लेकिन 2024 में इसमें गिरावट दर्ज की गई। 2019 में पैसिव फंड्स का हिस्सा 5.8% था, जो मार्च 2023 तक बढ़कर 17.7% पहुंच गया। लेकिन 2024 के अंत तक यह गिरकर 16.6% पर आ गया। और ये तब हुआ जब रिकॉर्ड इनफ्लो, नए निवेश खाते और ढेर सारे फंड लॉन्च हुए।
पिछले दो साल में स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स ने लार्जकैप के मुकाबले धांसू प्रदर्शन किया है। निफ्टी 50 ने जहां 31% की बढ़त दिखाई, वहीं निफ्टी स्मॉलकैप 100 ने 93% और निफ्टी मिडकैप 100 ने 82% का रिटर्न दिया। अब चूंकि 90% पैसिव फंड्स लार्जकैप इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50 और सेंसेक्स) को फॉलो करते हैं, तो इनका मुनाफा एक्टिव फंड्स के मुकाबले काफी कम रहा। दूसरी ओर स्मॉलकैप और मिडकैप में निवेश करने वाले एक्टिव फंड्स ने जबरदस्त फायदा उठाया।
स्मॉलकैप और मिडकैप फंड्स का प्रदर्शन देखकर निवेशकों ने इनमें जमकर पैसा लगाया। यही वजह है कि एक्टिव इक्विटी फंड्स की हिस्सेदारी 2023 में 39% से बढ़कर 2024 में 46% हो गई। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के सीईओ विशाल धवन कहते हैं, “स्मॉलकैप और मिडकैप फंड्स की शानदार परफॉर्मेंस और थीमेटिक फंड्स की बढ़ती पॉपुलैरिटी ने एक्टिव फंड्स को बढ़त दिलाई है।”
2023 में डेट फंड्स पर टैक्सेशन के नियम बदलने से भी पैसिव फंड्स को झटका लगा। इंडेक्सेशन का फायदा हटने से डेट फंड्स में नया निवेश धीमा हो गया। पैसिव डेट फंड्स का AUM मार्च 2023 में 1.7 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024 के अंत तक सिर्फ 19% बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये हुआ।
हालांकि, पैसिव इक्विटी फंड्स ने उम्मीद कायम रखी है। 2024 में पैसिव फंड्स में 1.3 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश हुआ। नए फंड लॉन्च की बाढ़ आ गई—130 नए फंड्स लॉन्च हुए, जिससे इंडेक्स फंड्स के खातों की संख्या दोगुनी होकर 1.25 करोड़ हो गई।
तो कुल मिलाकर, जहां स्मॉलकैप और मिडकैप ने एक्टिव फंड्स को मजबूती दी, वहीं पैसिव फंड्स को नए बाजार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।