रिकॉर्ड उच्चस्तर 20,192 पर बंद होने के बाद बेंचमार्क नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी-50 में लगातार चार कारोबारी सत्रों में 518 अंक यानी 2.6 फीसदी की गिरावट आई है। यह सूचकांक हाल में 19,674 पर बंद हुआ, जिसे तकनीकी विश्लेषक अहम स्तर मानते हैं।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अमोल आठवले ने कहा, साप्ताहिक चार्ट पर निफ्टी ने लॉन्ग बियरिश कैंडल बनाया है, जो निकट भविष्य में कमजोर सेंटिमेंट का संकेत देता है। हालांकि अस्थायी तौर पर जरूरत से ज्यादा बिकवाली वाली स्थिति के चलते हम निकट भविष्य में तेजी से सुधार की उम्मीद कर सकते हैं।
अल्पावधि वाले ट्रेडरों के लिए 50 दिन का सिंपल मूविंग ऐवरेज 19,600 और 19,500 अहम समर्थन स्तर होगा, वहीं 19,800 और 19,900 प्रतिरोध का अहम स्तर हो सकता है।
बंदरगाह से संबंधित बुनियादी ढांचे में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनी जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर का शेयर ग्रे मार्केट में 10 से 15 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का 2,800 करोड़ रुपये का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (जो 2023 का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ है) सोमवार को खुलकर बुधवार को बंद होगा।
एंकर निवेशकों को 119 रुपये के भाव पर 1,260 करोड़ रुपये के शेयर आवंटित किए जा चुके हैं, जो जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर का मूल्यांकन 24,990 करोड़ रुपये बताता है। कार्गो को संभालने की क्षमता के मामले में यह दूसरी सबसे बड़ी बंदरगाह परिचालक है।
हालांकि विश्लेषकों ने पाया है कि यह कंपनी अन्य सूचीबद्ध समकक्षों अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के मुकाबले काफी छोटी कंपनी बनी हुई है, जिसकी स्थापित क्षमता व कार्गो हैंडलिंग वॉल्यूम करीब चार गुना ज्यादा है।
इस महीने की शुरुआत में हुए फ्रीक ट्रेड के जवाब में बीएसई ने एहतियाती कदम उठाया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। 9 अक्टूबर से बाजार की स्थिति के साथ स्टॉप-लॉस मार्केट ऑर्डर की इजाजत इसके किसी भी सेगमेंट में नहीं मिलेगी।
अत्यधिक नुकसान को सीमित करने के लिए ट्रेडरों की तरफ से उपयोग किए जाने वाले स्टॉप-लॉस मार्केट ऑर्डर तब सक्रिय होते हैं जब पहले से तय मानक पूरे होते हैं। 8 सितंबर को बीएसई के इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में असामान्य कारोबार देखा गया, जहां 67,000 के स्ट्राइक प्राइस पर सेंसेक्स के कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की कीमत करीब 50 गुना उछल गई, यानी 4 रुपये से 200 रुपये पर पहुंच गई।
बाजार के भागीदारों ने पाया कि स्टॉप-लॉस मार्केट ऑर्डर से गलत सूचना पर आधारित कारोबार हो सकता है, खास तौर से कम नकदी वाले कॉन्ट्रैक्ट में। स्टॉप-लॉस मार्केट ऑर्डर को रोकने से हालांकि गलत सूचना पर आधारित कारोबार की संभावना खत्म नहीं होगी, लेकिन उसने अतिरिक्त सुरक्षात्मक कदम उठाए हैं। सूत्रों का कहना है कि बीएसई ऐसी गलतियों को रोकने के लिए और कदमों पर विचार कर रही है।