कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार प्रभावित होने की चिंता से शेयर बाजार में करीब एक महीने के दौरान आज एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यूरोप में फिर से लॉकडाउन लगने और अमेरिका में कर की दरें बढऩे की आशंका से जोखिम वाली संपत्तियों को लेकर निवेशकों की धारणा भी प्रभावित हुई है। इन सबका असर शेयर बाजार पर पड़ा है। विदेशी निवेशकों ने करीब 2,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
बेंचमार्क सेंसेक्स 871 अंक (1.7 फीसदी) फिसलकर 49,180 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 265 अंक (1.8 फीसदी) घटकर 14,549 पर बंद हुआ। सूचकांकों में फीसदी लिहाज से 26 फरवरी के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है। उस समय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से सूचकांकों में करीब 4 फीसदी की तेज गिरावट आई थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 वायरस की नई दोहरे रूप बदलने वाली (डबल म्यूटेंट) किस्म का पता चला है और कई राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में संक्रमण को लेकर चिंता है। पिछले 24 घंटे में देश भर में 47,262 नए मामले आए हैं और 275 लोगों की मौत हुई है, जो इस साल सर्वाधिक है। निवेशकों को डर है कि कोविड के बढ़ते मामलों और देश के कई हिस्सों में पाबंदियों से आर्थिक सुधार की रफ्तार धीमी पड़ सकती है और महामारी के कारण रोजगार गंवाने वाले लाखों लोगों की फिर से रोजगार पाने की राह कठिन हो सकती है। कोविड के ज्यादातर मामले महाराष्ट्र में आ रहे हैं, जो देश की आर्थिक राजधानी और औद्योगिक शहर है।
रिलायंस सिक्योरिटीज में रणनीति के प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, ‘महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जबकि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस राज्य की हिस्सेदारी 13 फीसदी से ज्यादा है और कुल औद्योगिक उत्पादन में करीब 20 फीसदी योगदान इसी राज्य का है। ऐसे में यह चिंता का विषय है। हालांकि 2020 के अनुभवों से सीख लेते हुए कारोबार पर पाबंदियां लगाए बिना संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने से संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।’
घरेलू शेयर बाजार फरवरी मध्य के अपने उच्चतम स्तर से करीब 6 फीसदी नीचे आ गया है। विश्लेषकों ने कहा कि वायरस संक्रमण के प्रसार से आर्थिक परिदृश्य प्रभावित हो सकता है। अगर संक्रमण के मामले बढ़ते रहे तो इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और अप्रैल-जून तिमाही में वृद्घि प्रभावित हो सकती है।
जर्मनी, फ्रांस और इटली में नए सिरे से पाबंदियां लगाए जाने से वैश्विक बाजारों में भी गिरावट आई है।
वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने कहा, ‘बाजार में अच्छी तेजी आई है और मई के बाद से इसमें 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट नहीं देखी गई। ऐसे में बाजार गिरावट का बहाना तलाश रहा था। बाजार को आशंका है कि कहीं लॉकडाउन ने लग जाए। कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है लेकिन यह उतनी तेजी नहीं है और टीकाकरण भी चल रहा है। ऐसे में बड़ा लॉकडाउन होने की आशंका नहीं है। ऐसा नहीं हुआ तो बाजार के लिए अच्छा होगा।’ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि मौत तथा संक्रमण के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। यूरोप में खपत सुधार को लेकर अनिश्चितता के बीच तेल की कीमतों में भी नरमी आई है।
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान के बाद 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल भी नरमी आई है। सेंसेक्स में दो शेयरों को छोड़कर सभी नुकसान में बंद हुए। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में सबसे ज्यादा 4 फीसदी की गिरावट आई। भारतीय स्टेट बैंक, ऐक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में 3-3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। रिलायंस इंडस्ट्रीज 2 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ।