कई आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के शेयरों ने बाजार में कमजोर प्रदर्शन किया है और इनमें आरबीआई द्वारा 4 मई को रीपो दर में वृद्धि किए जाने के बाद से 4 और 36 प्रतिशत के बीच गिरावट आ चुकी है। निवेशकों में इसे लेकर आशंका गहरा गई है कि इसका आवास वित्त क्षेत्र के लिए मांग पर प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि बुनियादी आधार पर मजबूत एचएफसी दर वृद्धि चक्र का सामना करने में सक्षम होंगी, क्योंकि वे कुछ हद तक बढ़ती ब्याज दरों के प्रभाव की भरपाई कर चुकी हैं।
व्हाइटओक कैपिटल मैनेजमेंट के निदेशक (निवेश) पराग जरीवाला का कहना है, ‘एचएफसी के फ्लोटिंग ऋणों में ब्याज दर वृद्धि की वजह से तेजी आएगी। हालांकि कुछ में निर्धारित आय वाले ऋण हैं। समेकित स्तर पर, मार्जिन सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके अलावा, मजबूत स्थिति वाली एचएफसी दर बढ़ाने के लिए मूल्य निर्धारण क्षमता से संपन्न हैं, क्योंकि उनके लिए कोषों की लागत प्रतिस्पर्धी बनी हुई है।’
आवास ऋण दरें अप्रैल में करीब 6.5 प्रतिशत पर रहीं और अब ये 7 प्रतिशत से ऊपर हैं। विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2023 के अंत तक दरें बढ़कर आवास ब्याज दरें 8-8.5 प्रतिशत पर पहुंच जाने की संभावना है।
सेरटस कैपिटल ऐंड अर्नेस्ट के संस्थापक आशिष खंडेलिया का कहना है, ‘आवास ऋण दरों के कमजोर शुरुआती स्तर को देखते हुए, एचएफसी में वृद्धि का बड़ा हिस्सा कर्जदारों पर डालने की क्षमता है।’
रेलिगेयर ब्रोकिंग में शोध-उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा का मानना है कि एचएफसी के लिए अन्य अनुकूल हालात मजबूत रियल एस्टेट मांग हो सकती है। उनके अनुसार, चूंकि ब्याज दरें सहज दायरे में बनी हुई हैं, वहीं उन्हें सिर्फ गंभीर घर खरीदारों द्वारा ही दांव लगाने की संभावना है।
जरीवाला का यह भी मानना है कि ज्यादा मॉर्गेज ऋणों का तुरंत मांग पर अधिक असर नहीं पड़ा है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में रोजगार वृद्धि से आवासीय बाजार में मौजूदा सुधार को मदद मिलेगी।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि उनके दायरे वाली अफॉर्डेबल एचएफसी वित्त वर्ष 2023 में शुद्ध ब्याज मार्जिन में सालाना आधार पर 10-70 आधार अंक और वित्त वर्ष 2024 में 20-100 आधार अंक की गिरावट दर्ज करेंगी।