मैंने एक साल पहले व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के जरिये शीर्ष रेटिंग वाले म्युचुअल फंडों में निवेश करना शुरू किया था।
शुरू में तो मुझे इनसे औसत रिटर्न हासिल हुआ था, लेकिन शेयर बाजार में हाल के उतार-चढ़ाव के बाद मुझे इस निवेश पर कुछ नुकसान हुआ। निवेश की गई कुल राशि तकरीबन 1,50,000 रुपये है और मेरे म्युचुअल फंड की यूनिटों का कुल मूल्य करीब 1,10,000 रुपये है। यह राशि लगभग 10 शीर्ष म्युचुअल फंडों में लगी हुई है।
मैंने सिर्फ शीर्ष स्तर वाले म्युचुअल फंडों में ही निवेश किया है। मैं अभी भी इस नुकसान को कम नहीं कर सका हूं। मैंने अपने सभी एसआईपी निवेश पिछले महीने बंद कर दिए और जब तक बाजार के हालात नहीं सुधर जाते, मैंने यह दोबारा शुरू नहीं करने का फैसला किया है।
मैं इसे लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हूं कि यह उतार-चढ़ाव कितने समय तक और जारी रहेगा और मैं यह फैसला नहीं ले पा रहा हूं कि मुझे अपने फंड के यूनिट अभी अपने पास रखने चाहिए या इन्हें बेच देना चाहिए। मुझे अल्पावधि लाभ की संभावना नहीं दिख रही है और मैं निवेश की गई राशि को खोना नहीं चाहता।
मैंने अब तक जो खबरें पढ़ी हैं, उनसे यही सामने आया है कि गिरावट का यह रुझान अभी कुछ और साल जारी रह सकता है। इस स्थिति में क्या मुझे अपने निवेश को बरकरार रखना चाहिए या फिर नुकसान से बचने के लिए इन्हें बेच देना चाहिए ? कृपया मेरा उचित मार्गदर्शन करें। – रामकृष्ण पुजारी
डायवर्सिफिकेशन, अच्छे फंड का चयन, एक निश्चित समय पर समीक्षा और अनुशासित ढंग से निवेश, भले ही बाजार में गिरावट का दौर हो, ये ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं जिन्हें समझ कर आप एक निश्चित समय के अंदर शेयरों या इक्विटी फंडों से संपत्ति अर्जित कर सकते हैं।
हमारा मानना है कि आप समय को नहीं बांध सकते और गिरावट के बाद तुरंत बेचने की आपकी इच्छा बाजार में एक बड़े उछाल के मौके को हाथ से गंवा सकती है। नियमित रूप से किया जाने वाला निवेश आपकी निवेश चिंता को दूर करने में लाभदायक साबित होगा।
आपकी सहायता के लिए हम एक काल्पनिक उदाहरण लेते हैं कि किस प्रकार से नियमित तौर पर निवेश करने वाला निवेशक प्रमुख फंडों में दीर्घावधि निवेश कर फायदा उठा सकता है। मान लीजिए कि यदि आप पिछले 10 सालों (अगस्त 1998 से जुलाई 2008) से एसआईपी के जरिये एचडीएफसी टॉप 200 जैसे फंड में 1000 रुपये हर महीने निवेश कर रहे हैं।
इस तरह आपके द्वारा किया गया कुल निवेश 1.20 लाख रुपये है जो जुलाई, 2008 यानी 10 वर्ष पूरा होने पर बढ़ कर 6.92 लाख रुपये हो जाएगा। इस अवधि के दौरान यदि आप इसे बीच में बंद कर देते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप फरवरी 2000 से सितंबर 2001 के बीच मासिक किस्तें जमा नहीं करते हैं यानी आप कुल 1 लाख रुपये जमा करते हैं तो यह 1 लाख रुपया जुलाई 2008 तक बढ़ कर 5.16 लाख रुपये में तब्दील हो जाएगा।
इसका मतलब यह हुआ कि आपने 20,000 रुपये बचाने के चक्कर में 1.76 लाख रुपये की भारी-भरकम अतिरिक्त रकम गंवा बैठेंगे। इसलिए निवेश को बीच में बंद नहीं करें। निवेश को लेकर हमेशा नियमित और अनुशासित रहें।
मैं आईसीआईसीआई प्रू टैक्स प्लान के तहत अपने पुत्र (नाबालिग) के नाम एसआईपी के जरिये हर महीने 1000 रुपये का निवेश कर रहा हूं, लेकिन मेरे चार्टर्ड अकाउंटेंड (सीए) का कहना है कि मुझे इससे 80 सी का लाभ नहीं मिल सकता क्योंकि यह प्लान मेरे बेटे के नाम से चल रहा है। लेकिन इसी तरह का लाभ बीमा स्कीम में मिल सकता है। ऐसा क्यों है ? – गौरव
हां, आपका सीए बिल्कुल सही कह रहा है। आप आय कर अधिनियम की धारा 80 सी का लाभ बीमे के मामले (बेटा, बेटी और पत्नी जैसे नजदीकी संबंधी के लिए) में उठा सकते हैं, लेकिन इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) के साथ इसका लाभ नहीं उठा सकते। हालांकि, ईएलएसएस में ज्वाइंट होल्डिंग के मामले में केवल पहला होल्डर कर लाभ का हकदार है।
क्या डेट फंड से प्राप्त रिटर्न नकारात्मक होगा? – अजय गुप्ता
डेट फंड अपना निवेश बॉन्ड, डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि में करते हैं। डेट फंड इक्विटी फंड की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं, लेकिन निश्चित तौर पर पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं होते। डेट फंड्स सामान्य तौर पर ब्याज दर जोखिम और क्रेडिट जोखिम को प्रकट करते हैं।
बॉन्ड की कीमतों में बदलाव ब्याज दरों में बदलाव पर निर्भर करता है। यदि ब्याज दर में इजाफा होता है तो बॉन्ड कीमतों में गिरावट आती है। बॉन्ड कीमतों में गिरावट का स्तर बॉन्ड की मैच्योरिटी पर निर्भर करता है। लंबी अवधि में बड़ी गिरावट होगी। ऐसा ब्याज दर जोखिम के कारण होता है।
निवेश की गई किसी भी अंतर्निहित संपत्ति में फंड का क्रेडिट जोखिम डिफॉल्ट का जोखिम है। सामान्य तौर पर फंड उन श्रेष्ठ ऋण पत्रों में निवेश द्वारा डिफॉल्ट का जोखिम कम करते हैं जिन्हें क्रिसिल, आईसीआरए जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से मान्यता प्राप्त हो। बॉन्ड फंड सामान्य तौर पर दो तरह से आय का स्रोत साबित होते हैं। ये हैं निवेश की गई संपत्ति पर ब्याज आमदनी और निवेश राशि की कीमत में इजाफा होना।
आप जब तक डिफॉल्ट नहीं होते हैं, तब तक आपको ब्याज पर आमदनी होती रहेगी। लेकिन यदि आपके द्वारा किए गए निवेश की कीमत में गिरावट आ जाती है और आपको ब्याज पर आमदनी भी हो रही होती है तो यह नकारात्मक रिटर्न का मामला होगा। लेकिन ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखा जाता है।