आईपीओ

सं​क्षिप्त IPO के लिए T+3 निपटान साइकल पर अमल बड़ी चुनौती

IPO प्रक्रिया T+6 निपटान साइकल से जुड़ी हुई है, जिससे निर्गम बंद होने और लिस्टिंग के बीच 6 दिन का समय लगता है

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समी मोडक   
Last Updated- August 11, 2023 | 10:55 PM IST

आईपीओ के लिए टी+3 निपटान चक्र पर अमल करना घरेलू बाजार ढांचे के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इस नई व्यवस्था के लिए दबावपूर्ण समय-सीमा में काम करने के लिए संबद्ध कंपनियों को ज्यादा परिश्रम करना होगा।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने घोषणा की है कि टी+3 निपटान चक्र पर अमल अगले महीने के शुरू से स्वै​च्छिक होगा और 1 दिसंबर से यह अनिवार्य हो जाएगा।

नई व्यवस्था में सभी आवेदकों के लिए पैन के जल्द सत्यापन के लिए बैंकों से शीघ्र पु​ष्टि किए जाने की जरूरत होगी। बाजार कारोबारियों का कहना है कि इस बीच, पंजीयक और डिपोजिटरी को मंजूरियां हासिल करने, नए शेयर जारी करने और अलग कामकाजी घंटों के दौरान भी डीमैट में स्थानांतरण की जरूरत होगी। इससे खासकर आईपीओ बंद होने के बाद दो दिन के लिए अतिरिक्त मानव श्रम की जरूरत को बढ़ावा मिल सकता है।

बाजार कारोबारियों ने संकेत दिया है कि कई आईपीओ को सप्ताह के आ​खिरी हिस्से में पूरा करने का लक्ष्य रहेगा, जिससे बैक-एंड परिचालन पूरा करने के लिए दो अतिरिक्त कामकाजी दिन (शनिवार और रविवार) भी कामकाज करने की जरूरत होगी।

मौजूदा समय में, आईपीओ प्रक्रिया टी+6 निपटान चक्र से जुड़ी हुई है, जिससे निर्गम बंद होने और सूचीबद्धता के बीच 6 दिन का समय लगता है। इसमें दो अतिरिक्त गैर-कामकाजी दिन शामिल हैं जो अक्सर बफर के तौर पर माने जाते हैं।

उद्योग के जानकारों ने पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और बैंकों से तेज प्रदर्शन किए जाने की जरूरत पर जोर दिया है, जो सेबी के नियमन से बाहर है।
इसके अलावा, निर्णायक कदम आ​खिरी दिन के अंतिम घंटे में कार्य प्रणाली की निष्पक्षता सुनि​श्चित करने के लिए बाहरी ऑडिटर की नियु​क्ति से जुड़ा हुआ है।

एक निवेश बैंकर ने कहा, ‘संपूर्ण प्रक्रिया मजबूत होनी चाहिए। असली चुनौती ऐसे आईपीओ से जुड़ी होगी जिसे बहुत ज्यादा संख्या में आवेदन मिलें। यदि कुछ प्रतिभागी अपने कार्य प्रभावी तरीके से पूरे करने में सफल नहीं रहते हैं तो ऐसे में तकनीकी कारणों से आवेदनों के रद्द होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकेगा।’

बैंकर ने कहा कि आसान प्रक्रिया पर अमल सेबी के लिए अन्य सफलता होगी, क्योंकि उसे टी+1 निपटान चक्र के सफल क्रियान्वयन की वजह से पहले ही सराहा जा चुका है।

जीरोधा के उपाध्यक्ष (प्राइमरी मार्केट्स ऐंड पेमेंट्स) मोहित मेहरा का कहना है, ‘टी+3 निपटान चक्र पर अमल आसान तरीके से किया जाना चाहिए। इसके क्रियान्वयन को वैक​ल्पिक और फिर अनिवार्य तौर पर अपनाए जाने से इसे सफल बनाने में मदद मिलेगी।’

First Published : August 11, 2023 | 10:55 PM IST