प्रतिभूति अपील न्यायाधिकरण (सैट) ने सेबी के एक फैसले को पलट दिया है और सिंगापुर स्थित रोहित सलगांवकर को 66 करोड़ रुपये के अवैध लाभ से जुड़े कथित भेदिया कारोबार मामले में केतन पारिख से जिरह करने का अधिकार दिया है। जनवरी में, सेबी ने सलगांवकर (अपीलकर्ता) और पारिख सहित 22 संस्थाओं के खिलाफ एकपक्षीय अंतरिम आदेश-सह-कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
नियामक ने आरोप लगाया था कि स्ट्रेट क्रॉसिंग के निदेशक सलगांवकर ने आगामी सौदों के बारे में अप्रकाशित कीमत संबंधी संवेदनशील जानकारी पारिख को दी, जिन्होंने फिर संबंधित संस्थाओं के एक नेटवर्क के माध्यम से लेनदेन का कोऑर्डिनेशन किया।
सैट ने अब सेबी के अगस्त के उस संदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें सलगांवकर द्वारा जुलाई में पारिख से जिरह के लिए दायर अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। रोहित सलगांवकर के वकील विनय चौहान ने दलील दी कि जांच के दौरान पारिख के बयान अस्पष्ट थे और उनकी कई व्याख्याएं की जा सकती हैं। आरोपों की गंभीरता और जब्ती के निर्देशों को देखते हुए, न्यायमूर्ति पीएस दिनेश कुमार की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने कहा कि ऐसे बयानों की और जांच की जानी चाहिए।
सैट के पीठ ने एक आदेश में कहा, अपीलकर्ता ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और पूर्णकालिक सदस्य के समक्ष कार्यवाही में सहयोग करने और भाग लेने को तैयार है जबकि केतन पारिख ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। हमारे विचार से इस मामले के तथ्यों को देखते हुए केतन पारिख से जिरह करने का अपीलकर्ता का अनुरोध एक से ज्यादा कारणों से विचारणीय है।
न्यायाधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाना चाहिए और ऐसे पूर्व उदाहरणों का हवाला दिया जिनमें समान कार्यवाहियों में सह-नोटिसकर्ताओं से जिरह की अनुमति दी गई थी। सेबी को निर्देश दिया गया है कि वह पारिख की जिरह की तारीख तय करे और सलगांवकर को उसी के मुताबिक सूचित करे।
वहीं, सलगांवकर ने कहा है कि पारिख के साथ उनकी बातचीत विदेशी ग्राहकों के लिए वैध व्यावसायिक रेफरल तक ही सीमित थी और इसमें अंदरूनी जानकारी साझा करना शामिल नहीं था।