बीएस बातचीत
रूस और यूक्रेन के साथ ताजा भूराजनीतिक घटनाक्रम ने निवेशकों को जोखिम में डाल दिया है क्योंकि वैश्विक इक्विटी बाजार अस्थिर हो गए हैं। ईपीएफआर ग्लोबल के शोध निदेशक केमरॉन ब्रांट ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि कनाडा, ग्रेटर चीन और सऊदी अरब से जुड़े फंडों में तब से प्रवाह तेज हुआ है जब से रूस द्वारा सैन्य कार्रवाई पर बाजारों ने अपना ध्यान बढ़ाया है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
वर्ष 2022 में निवेशक प्रवाह कैसा रहेगा, क्योंकि अमेरिकी फेडरल और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दर वृद्घि की संभावना है? कौन से इक्विटी बाजार शेष वर्ष के दौरान आकर्षक बने रह सकते हैं?
यूक्रेन पर रूसी हमले होने से पहले तक, बाजार अमेरिकी फेडरल के नरम रुख को लेकर ज्यादा चिंतित थे। इन हमलों और उसके प्रभावों को इस नजरिये से देखा जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल सख्ती बढ़ा सकता है। इसलिए मेरा मानना है कि अमेरिकी परिसंपत्तियों में निवेश की पेशकश से जुड़े फंडों के लिए प्रवाह बढ़ सकता है।
क्या मौजूदा भूराजनीतिक चिंताएं इस संदर्भ में महत्वपूर्ण कारक होंगी कि प्रवाह का प्रभाव अल्पावधि से मध्यावधि में सभी क्षेत्रों पर कैसे पड़ेगा?
हां, मौजूदा भूराजनीतिक चिंताएं अल्पावधि से मध्यावधि में सभी क्षेत्रों में निवेश प्रवाह से जुड़ी होंगी होंगी। कनाडा, चीन और सऊदी अरब से संबंधित फंडों में उस वक्त से तेजी दर्ज की गई जब से रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई की वजह से बाजारों द्वारा अपना ध्यान केंद्रित किया गया है।
क्या वर्ष 2022 विकसित बाजारों से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है? आपकी नजर में कौन से कारक ईएम पर पुन: ध्यान केंद्रित कर सकते हैं?
अमेरिका में वित्तीय राहत कमजोर पडऩे, कई घरेलू बाजारों में मुद्रास्फीति दबाव और यूरोप में भूराजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए यह कहना कठिन है कि विकसित बाजारों का प्रदर्शन 2022 में अच्छा रह सकता है। हालांकि यह किसी ईएम बाजार के मामले में भी समान है। लेकिन ईएम बेहतर मूल्यांकन की पेशकश कर सकते हैं और कुछ मामलों में अपने डीएम यानी घरेलू प्रतिस्पर्धियों से बेहतर रह सकते हैं।
कौन से कारक निवेशकों को चीनी के इक्विटी बाजारों की तरफ मोड़ रहे हैं?
2021 की दूसरी छमाही के दौरान संस्थागत निवेशकों ने चीन के इक्विटी फंडों में 37 अरब डॉलर का निवेश किया। वहीं प्रमुख क्षेत्रों पर नियामकीय सख्ती से छोटे निवेशकों ने परहेज किया, उनके संस्थागत प्रतिस्पर्धियों का मानना है कि वहां वित्तीय और मौद्रिक नीति ऐसे वर्ष के दौरान बेहद सहायक होगी, जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के 20वें कांग्रेस के साथ संपन्न होगा।
डेट फंडों पर आपका क्या नजरिया है? क्या रिस्क-रिवार्ड एक वर्ष के परिदृश्य से अनुकूल या प्रतिकूल है?
यह क्रिप्टोकरेंसी जैसे वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले बेहतर है और इन परिसंपत्तियों के लिए समर्पित फंड समूहों में मजबूत प्रवाह देखा जा रहा है। इस साल रिस्क-रिवार्ड के संदर्भ में मुद्रास्फीति की राह की स्थिति स्पष्ट होने में लंबा समय लगेगा।
एफआईआई अक्टूबर 2021 से भारत में बिकवाल रहे हैं और उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों से करीब 11 अरब डॉलर की निकासी की है। क्या आप अब जल्द ही इस रुझान में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं?
अस्थिरता वैश्विक रूप से बढ़ी है। वे बाजारों घरेलू तौर पर परिसंपत्ति वर्गों से अपनी रकम निकालना चाहते हैं। तेजी आयात की भारत की जरूरत को देखते हुए ऊर्जा कीमतों का रुझान भी चिंताजनक है।