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पट्टे के रुझान में सुधार से रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स को बल

जेएम फाइनैंशियल रिसर्च व नुवामा रिसर्च ने चारों​ सूचीबद्ध रीट्स को खरीद की रेटिंग दी है

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राम प्रसाद साहू   
Last Updated- February 25, 2024 | 10:11 PM IST

तिमाही के दौरान सूचीबद्ध कंपनियों का सकल आधार पर सबसे ज्यादा तिमाही पट्टा और ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ने की उम्मीद सूचीबद्ध कॉमर्शियल डेवलपर के साथ-साथ रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स यानी रीट्स के लिए सकारात्मक है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के नए नियमों और वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) की बढ़ती पट्टा गतिविधियां आने वाले समय में ऑक्युपेंसी व किराये में मजबूती ला सकती है।

इससे न सिर्फ वाणिज्यिक परिसंपत्तियों का स्वामित्व रखने वालों मसलन चार सूचीबद्ध रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स यानी रीट्स को फायदा मिलेगा बल्कि ऑफिस स्पेस के बड़े पोर्टफोलियो वाले डेवलपरों मसलन डीएलएफ व ब्रिगेड एंटरप्राइजेज को भी इसका लाभ मिलेगा।

शेयरों के लिए तात्कालिक संकेतक दिसंबर तिमाही और कैलेंडर वर्ष 2023 में इनका मजबूत प्रदर्शन है। ऑफिस स्पेस के लिए मांग में सुधार ने रीट्स को फायदा पहुंचाया है क्योंकि तिमाही में सकल पट्टे में सुधार नजर आया है। एम्बेसी रीट्स व ब्रुकफील्ड रीट्स ने अपने आईपीओ के बाद से सकल आधार पर सबसे ज्यादा तिमाही सकल पट्टे दर्ज किए हैं।

इस क्षेत्र की चिंता काफी ज्यादा तादाद में निकासी रही है, जो मोटे तौर पर सॉफ्टवेयर व सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं में नरमी के कारण उपजी हैं। परिणामस्वरूप शुद्ध लीजिंग यानी नए पट्टे और छोड़ने की दर नकारात्मक होने की आशंका है। हालांकि निकासी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार कम हुई है और सभी अहम डेवलपर की शुद्ध लीजिंग सकारात्मक हो गई है।

नुवामा रिसर्च ने कहा है कि वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में किराये में सुधार का रुझान नजर आया। ब्रोकरेज के परवेज काजी और वसुदेव गनत्र ने कहा है कि सभी ऑफिस रीट्स के किराये में स्थिर बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह ठीक-ठाक मार्क टु मार्केट रेट है।

विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि प्रति यूनिट लाभांश (जिसमें पिछली कुछ तिमाहियों में सपाट से लेकर गिरावट का रुख रहा है) आने वाले समय में सुधरने जा रहा है। प्रति यूनिट कम लाभांश की वजह पिछली कुछ तिमाहियों में कम ऑक्युपेंसी होना रहा।

यह हालांकि बहुत परेशान करने वाली बात नहीं है लेकिन ब्रोकरेज ने कहा है कि शुद्ध कर्ज व सकल परिसंपत्तियों की कीमत का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ रहा है क्योंकि ज्यादातर रीट्स ऊंची मांग का फायदा उठाने के लिए विस्तार कर रही हैं। बढ़ी उधारी और उच्च ब्याज दर को देखते हुए ऊंची देनदारी सभी रीट्स के लिए 49 फीसदी की नियामकीय सीमा से कम है।

ज्यादा किराये का मामला साल 2023 में पूरे समय रहा है। इलारा कैपिटल रिसर्च ने रियल एस्टेट कंसल्टेंसी नाइट फ्रैंक का हवाला देते हुए कहा है कि वैश्विक उतारचढ़ाव के बावजूद भारत का वाणिज्यिक रियल एस्टेट बाजार साल 2023 में सुदृढ़ रहा और ऑफिस लीजिंग सालाना आधार पर 15 फीसदी बढ़ी।

यह बढ़त कर्मचारियों के कार्यालय लौटने और वैश्विक कंपनियों के भारत में परिचालन विस्तार करने के कारण हुई। ट्रांजेक्शन वॉल्यूम बढ़ने के साथ ही विभिन्न बाजारों में किराये स्थिर हुए। ऑक्युपेंसी भी विभिन्न बाजारों में धीरे-धीरे बढ़ी। माना जाता है कि रीट पोर्टफोलियो में यह 57 से 65 फीसदी के दायरे में होगी जो पिछले साल 47 से 55 फीसदी थी। नाइट फ्रैंक ने ये बातें कही हैं।

मांग में हुई बढ़ोतरी में वैश्विक क्षमता केंद्रों की लीजिंग का अहम योगदान रहा है। साल 2023 की दूसरी छमाही में खास तौर से इन केंद्रों की तरफ से 2020 के बाद से लीजिंग की ज्यादा गतिविधियां देखने को मिली और यह 1.24 करोड़ वर्गफुट पर पहुंच गई।

रियल एस्टेट सेवा दिग्गज कोलियर्स इंडिया ने हालिया रिपोर्ट में कहा है कि अगले दो वर्ष में वैश्विक क्षमता केंद्र करीब 4.5-5 करोड़ वर्गफुट ऑफिस स्पेस लीज पर ले सकते हैं, जो देश के 6 अग्रणी शहरों में इस तरह की कुल मांग का करीब 40 फीसदी होगी।

कारोबारी धारणा में सुधार और सकारात्मक आर्थिक परिदृश्य भारत में ऑफिस स्पेस की मांग को आगे बढ़ा रहा है, खास तौर से उन विदेशी मूल की कंपनियों के बीच भरोसे का संकेत दे रहा है जो भारत में अपने केंद्र शुरू करना चाहती हैं। तकनीक व बीएफएसआई के अलावा इंजीनियरिंग व विनिर्माण और स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र आने वाले समय में वैश्विक केंद्रों में विविधता ला सकते हैं। यह कहना है कोलियर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (ऑफिस स्पेस) अर्पित मल्होत्रा का।

अन्य संकेतक हैं एसईजेड के नए नियम, जो ऑ​फिस की मांग में मजबूती ला सकते हैं। पिछले साल दिसंबर में एसईजेड के नियम संशोधित हुए थे, जिसमें आईटी/आईटीईएस एसईजेड के डेवलपरों को तैयार क्षेत्र के पोर्टफोलियो को गैर-एसईजेड स्पेस के तौर पर रखने की इजाजत मिली थी।

जेएम फाइनैंशियल रिसर्च व नुवामा रिसर्च ने चारों​ सूचीबद्ध रीट्स को खरीद की रेटिंग दी है, लेकिन नुवामा रिसर्च के मुताबिक रीट्स की दोबारा रेटिंग तब हो सकती है जब ब्याज दरों में संभावित कटौती हो।

First Published : February 25, 2024 | 10:11 PM IST