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म्युचुअल फंडों के निवेश पर असर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:48 AM IST

मार्च में म्युचुअल फंडों ने एक साल पहले के मुकाबले काफी कम शेयरों में निवेश किया जबकि उनकी इक्विटी परिसंपत्तियों में कुछ लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। प्राइम डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि इस तरह के रुख में बढ़ोतरी हो रही थी क्योंंकि जुलाई 2020 में यह आंकड़ा 31 महीने के निचले स्तर 796 शेयर तक आ गया। बाजार में आई रिकवरी और कोविड-19 के मामलों में कमी से यह संख्या एक बार फिर बढऩे लगी। मार्च 2021 में यह संख्या 813 शेयर तक पहुंच गई। यह संख्या महामारी के पूर्व की संख्या के करीब-करीब बराबर है। दिलचस्प रूप से ऐसा तब हो रहा था जब लॉकडाउन से एक महीने पहले फरवरी में उनके निवेश की वैल्यू 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ी। फरवरी 2020 में मार्च 2021 के मुकाबले म्युचुअल फंडों ने ज्यादा शेयरोंं में निवेश किया, जब उनके निवेश की कीमत 11.6 लाख करोड़ रुपये थी। मार्च 2021 में उनके निवेश की कीमत 3 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 14.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि उतारचढ़ाव या गिरावट की अवधि में निवेशकों का रुख ज्यादा संकीर्ण हो जाता है। यह अक्सर उन शेयरों की ओर रुख मोड़ सकता है, जिसकी खरीद-बिक्री आसानी से हो सकती है। कई छोटी कंपनियों के शेयरों मेंं काफी कम ट्रेड हो रहा है। अगर शेयर बेचना हो तो फंड मैनेजरों के लिए खरीदार तलाशना काफी मुश्किल हो सकता है।
केआर चोकसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, अनिश्चितता के दौरान निवेश में मैं तरलता को ज्यादा भारांक दूंगा। उन्होंने कहा कि हमने अनिवार्य रूप से अभी ऐसा रुख नहीं देखा है जबकि कोविड के मामले भारत में रोजाना दो लाख के पार हो रहे हैं यानी विश्व में सर्वाधिक। पिछले लॉकडाउन में बाजार अपने सर्वोच्च स्तर से जितना गिरा था, अभी उतरना नहीं गिरा है। एसऐंड़पी बीएसर्ई सेंसेक्स मार्च 2020 में अपने सर्वोच्च स्तर से 38 फीसदी टूट गया था। अब तक के सर्वोच्च स्तर से बाजार 6.4 फीसदी टूटा है और शुक्रवार को 48,832.03 अंक पर बंद हुआ।
यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी विनय पहाडिय़ा ने कहा कि आंरभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए बाजार में आने वाली नई कंपनियों ने इस बढ़ोतरी में शायद अपनी भूमिका निभाई होगी।
मार्च 21 में समाप्त वर्ष में कुल 66 आईपीओ पेश हुए। इनके जरिए कुल 74,694 करोड़ रुपये जुटाए गए। यह वित्त वर्ष 2018 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उन्होंंने कहा, साथ ही जब बाजार में उतारचढ़ाव होता है तब अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियां (जिनका कारोबार महंगे मूल्यांकन पर हो रहा होता है) शेयर कीमतों में गिरावट देख सकती हैं और म्युचुअल फंडों ने उन्हें खरीदा होगा जो उनके शेयरों की संख्या में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
म्युचुअल फंडों का जिन कंपनियों में निवेश है उन कंपनियों की संख्या विभिन्न वर्षों में बढ़ती रही है। जून 2016 में ऐसी कंपनियों की संख्या 732 थी। इन शेयरों में उनके निवेश की वैल्यू 4.3 लाख करोड़ रुपये थी। समय के साथ इसमें खासी बढ़ोतरी हुई है। चोकसी के मुताबिक कई शेयर निवेश के लिहाज से काफी छोटे होते हैं। फंड हाउस अक्सर उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनका न्यूनतम मूल्यांकन 10,000 करोड़ रुपये होता है।
फंडों में अभी भी निवेश की रकम आ रही है, जो स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती है। ऐसे फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां फरवरी व मार्च 2021 के बीच 4.5 फीसदी बढ़कर 72,049.86 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।

First Published : April 17, 2021 | 12:09 AM IST