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SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर कांग्रेस का एक और बड़ा आरोप- कैसे किसी का ‘रिटायरल बेनिफिट’ वेतन से अधिक हो सकता है ?

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ICICI बैंक से यह भी कहा कि वे माधबी पुरी बुच के ESOP (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना) पर टैक्स (TDS) का भुगतान बैंक की तरफ से करें।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 03, 2024 | 4:33 PM IST

मंगलवार को कांग्रेस ने ICICI बैंक और सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच से उनके “रिटायरल बेनिफिट” पर सफाई मांगी। कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बैंक से रिटायरमेंट के बाद उन्हें जो पैसा मिला, वह उनके वेतन से ज्यादा था। कांग्रेस ने इस पैसे की मात्रा और टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ICICI बैंक से यह भी कहा कि वे माधबी पुरी बुच के ESOP (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना) पर टैक्स (TDS) का भुगतान बैंक की तरफ से करें।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल उठाते हुए कहा, “मान लीजिए कि 2014-2015 में ICICI बैंक से माधबी पुरी बुच को मिले ₹5.03 करोड़ को उनके ‘रिटायरल बेनिफिट’ का हिस्सा माना जाए, और 2015-2016 में उन्हें कुछ नहीं मिला, तो यह ‘रिटायरल बेनिफिट’ 2016-2017 में फिर से क्यों शुरू हुआ और 2021 तक क्यों जारी रहा?”

खेड़ा ने यह भी बताया कि सेबी में उनकी नियुक्ति के समय उनके ‘रिटायरल बेनिफिट’ में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा, “2007 से 2013-14 (ICICI से उनके रिटायरमेंट से ठीक पहले) तक बुच का औसत वेतन ₹1.3 करोड़ था। लेकिन 2016-17 से 2020-21 के बीच ICICI द्वारा दिए गए ‘रिटायरल बेनिफिट’ का औसत ₹2.77 करोड़ प्रति वर्ष है। कैसे किसी का ‘रिटायरल बेनिफिट’ उसके कर्मचारी के रूप में मिले वेतन से अधिक हो सकता है?”

खेड़ा ने ICICI बैंक की ESOP पॉलिसी में भारत और अमेरिका के बीच असमानता को भी हाइलाइट किया।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “ICICI बैंक ने अपनी वेबसाइट पर जो एकमात्र ESOP पॉलिसी पब्लिक की है, वह अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की वेबसाइट पर अपलोड की गई है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि पूर्व कर्मचारी अपनी ESOP को अपनी स्वैच्छिक सेवा समाप्ति के बाद अधिकतम तीन महीनों के भीतर उपयोग कर सकते हैं।”

ICICI बैंक ने इन दावों को एक दिन पहले खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि बुच को अक्टूबर 2013 में उनके रिटायरमेंट के बाद कोई वेतन या ESOP नहीं दिया गया। एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में, इस निजी बैंक ने कहा कि 2013 के बाद बुच को किए गए सभी भुगतान उनकी नौकरी के दौरान अर्जित किए गए थे। बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें ESOP से जुड़े “रिटायरल” लाभों के अलावा कोई अन्य भुगतान नहीं किया गया।

ICICI बैंक ने एक बयान में कहा, “माधबी पुरी बुच को सिवाय उनके रिटायरल बेनिफिट्स के, उनके रिटायरमेंट के बाद बैंक या उसकी समूह की कंपनियों द्वारा कोई वेतन या ESOP नहीं दिया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 से प्रभावी सुपरएन्युएशन का विकल्प चुना था।”

बैंक ने यह भी कहा कि उसके कर्मचारियों के पास ESOP को वेस्टिंग की तारीख से 10 साल तक कभी भी उपयोग करने का विकल्प होता है।

First Published : September 3, 2024 | 4:18 PM IST