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दो छोटे आईपीओ पर एचएनआई ने लगाए हैं बड़े दांव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:17 AM IST

बाजार में आए दो छोटी कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) पर करीब 90,000 करोड़ रुपये दांव पर लगे हैं। हैप्पिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज और रूट मोबाइल के आईपीओ इसी सप्प्ताह बाजार में आए हैं और एंकर निवेशकों के निवेश को छोड़ दें तो इन दोनों निर्गमों का संयुक्त आकार महज 806 करोड़ रुपये ही था। इस तरह, दोनों आईपीओ के तहत जितने शेयरों की पेशकश की गई थी उसके मुकाबले आवेदन 111 गुना दांव लगे हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि शानदार शुरुआत की भविष्यवाणी और पहले इनसे पहले सूचीबद्ध हुईं कंपनियों को मिली सफलता से अधिक से अधिक निवेशक  कतार में खड़े हो गए। कुछ दिनों पहले रसायन कंपनी रोसारी बायोटेक का आईपीओ बाजार में आया था और सूचीबद्ध होने के समय शेयर लगभग दोगुना उछल गया। इससे कई धनाढ्य निवेशकों (एचएनआई) को जबरदस्त मुनाफा कमाने का मौका मिल गया। कारोबारियों का कहना है कि हैपिएस्ट माइंड्स और रूट मोबाइल दोनों के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद 50 प्रतिशत से अधिक उछल सकते हंै। शुक्रवार को बंद हुए रूट मोबाइल के आईपीओ को 74 गुना आवेदन मिला था। दूसरी तरफ हैपिएस्ट माइंड्स का आईपीओ बुधवार को बंद हुआ और इसे 151 गुना आवेदन मिले।

कारोबारियों का कहना है कि इन दोनों आईपीओ को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि शेयर बाजार में दिखी तेजी अब प्राथमिक बाजारों तक भी पहुंच सकती है। इस बारे में वेलेंटिस एडवाइजर्स के मुख्य कार्याधिकारी ज्योतिवद्र्धन जयपुरिया ने कहा, ‘पिछले कई महीनों में बाजार में ज्यादा आईपीओ नहीं आए थे। इस समय बाजार वाकई उत्साह से लबरेज दिख रहा है। जब भी बाजार में माहौल खुशनुमा रहता है तब निवेशक  जमकर दांव लगाते हैं।’

इन दोनों आईपीओ में में अधिक से अधिक बोलियां धनाढ्य निवेशकों ने लगाई हैं। ये निवेशक आईपीओ में आवेदन करने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से अल्प अवधि का ऋण लेते हैं। इससे उनके न नफा न नुकसान में रहने का जोखिम भी बढ़ जाता है। हालांकि शेयर खासी बढ़त के साथ बंद होते हैं तो उस स्थिति में वे मुनाफा कमा ले जाते हैं। बाजार की चाल पर नजर रखने वाले अरुण केजरीवाल ने कहा, ‘अगर रकम उपलब्ध होती है तो धनाढ्य निवेशक बोली लगाने से पीछे नहीं रहते हैं। निर्गम अच्छा है या कमजोर है इससे उन्हें कोई फ र्क नहीं पड़ता है। उनके लिए बस यह बात मायने रखती है कि रकम सस्ती दरों पर मिल जाए और उन्हें थोड़ा बहुत भी मुनाफा मिल जाए।’

ज्यादातर मामलों में कुशल धनाढ्य निवेशक ही आईपीओ पर दांव लगाते हैं। अगर आईपीओ के बंद होने और इसके सूचीबद्ध होने के बीच कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो उनके कारोबार का गणित सटीक बैठता है। आम तौर पर आईपीओ बंद होने और शेयर सूचीबद्ध होने में छह से आठ दिनों का फासला रहता है।

हैपिएस्ट माइंड्स आईपीओ के लिए करीब 20 लाख खुदरा आवेदन आए, जबकि रूट मोबाइल के मामले में यह तादाद 15 लाख रही। विशेषज्ञों ने कहा कि नए खुदरा निवेशकों के बाजार में कदम रखने से इन दोनों आईपीओ के लिए इतने खुदरा आवेदन आए हैं। अप्रैल से अब तक 40 लाख नए डीमैट खाते खुले हैं। घर से काम करने का चलन और डीमैट खाता खोलने की शर्तों में ढील से यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। हालांकि इन दोनों आईपीओ की सफलता को कम कर के आंकना  जल्दबाजी होगी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बुनियादी रूप से कमजोर आईपीओ के लिए निवेशक आईपीओ बाजार पर नजर रख सकते हैं।

First Published : September 11, 2020 | 11:36 PM IST