एचडीएफसी बैंक का शेयर सोमवार को कारोबारी सत्र में 1,725 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया लेकिन अंत में 1,670 रुपये पर बंद हुआ क्योंंकि सितंबर तिमाही में उम्मीद से ज्यादा कर्ज पुनर्गठन का असर सेंंटिमेंट पर पड़ा। विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों को पुनर्गठित लोनबुक पर नजर रखनी चाहिए, हालांकि लंबी अवधि के लिहाज से बढ़त के संकेतक बरकरार हैं।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक प्रखर अग्रवाल ने विनायक अग्रवाल व पार्थ सिंघवी के साथ लिखी एक रिपोर्ट में कहा है, पुनर्गठित लोनबुक 1.7 फीसदी के उच्चस्तर पर है, जो पहली तिमाही में 0.68 फीसदी था और इसका बड़ा हिस्सा पर्सनल लोन (14,100 करोड़ रुपये) है। साथ ही एकबारगी के पुनर्गठन का अनुभव बताता है कि हमें आने वाले समय में पुनर्गठित लोनबुक पर नजर रखनी चाहिए। एकबारगी के पुनर्गठन में 20 फीसदी तक का एनपीए नजर आया था जबकि बट्टे खाते में 10 फीसदी डाला जाता है।
कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक एम बी महेश ने कहा कि पुनर्गठित कर्ज की राह के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल होगा क्योंकि ये ज्यादातर खुदरा कर्ज हैं।
जेफरीज के इक्विटी विश्लेषक प्रखर शर्मा और भास्कर बसु ने कहा है, हमने देखा है कि पहले पैकेज के तहत पुनर्गठित पर्सनल लोन का 23 फीसदी एनपीएल में चला गया और बैंंक पहले ही ऐसे एनपीएल का 63 फीसदी बट्टे खाते में डाल चुका है। वहीं प्रबंधन को कर्ज का सिर्फ 10-20 आधार अंक ही एनपीएल पर असर डालेगा।
एचडीएफसी बैंक ने इस तिमाही में आकस्मिक प्रावधान में इजाफा किया है (फ्लोटिंग प्रावधान समेत) और यह सकल कर्ज का करीब 0.8 फीसदी (9,200 करोड़ रुपये) है। साथ ही प्रावधान कवरेज अनुपात भी क्रमिक आधार पर 300 आधार अंक सुधरकर दूसरी तिमाही में 71 फीसदी पर पहुंच गया, जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह किसी प्रतिकूल असर के समय मददगार होगा।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटी के कुणाल शाह ने आर भुवा, चिंतन शाह और पीयूष खेरडिकर के साथ लिखे नोट में कहा है, 5,300 करोड़ रुपये एनपीए के लिए एचडीएफसी बैंक ने 2,300 करोड़ रुपये का विशिष्ट प्रावधान किया है। और पुनर्गठन और बैलेंस शीट की मजबूती के लिए उसने 1,200 करोड़ रुपये का और आकस्मिक प्रावधान किया है।
इसके बावजूद 1.3 फीसदी पर क्रेडिट लागत हमारे अनुमान के मुताबिक है। अनुमानित क्रेडिट लागत वित्त वर्ष 22 व वित्त वर्ष 23 में 1.3 फीसदी-1.2 फीसदी पर रहेगी। विश्लेषकों का कहना है कि बैंक के पास लंबी अवधि में बढ़त के लिए मजबूत संकेतक हैं, जो मुख्य आय को सहारा देंगे।
दूसरी तिमाही में खुरा वितरण (सालाना आधार पर 13 फीसदी की बढ़त) को होम, ऑटो, पर्सनल लोन के अलावा पेमेंट प्रॉडक्ट्स में खासी बढ़त से मदद मिली। प्रबंधन छोटे आकार वाले कर्ज में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने को लेकर आशावान है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज का मानना है कि लोन की रफ्तार में तेजी, खास तौर से खुदरा, से शुद्ध ब्याज आय और मार्जिन में बढ़ोतरी होगी, जो लाभ को आगे बढ़ाएगा। इसका कहना है कि वित्त वर्ष 21-24 (अनुमान) में कर पश्चात लाभ में 20 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढ़ोतरी के लेकर हमारा अनुमान अपरिवर्तित है और वित्त वर्ष 24 में रिटर्न ऑन ऐसेट व रिटर्न ऑन इक्विटी क्रमश: 2.1 फीसदी व 18.3 फीसदी रहेगा।