म्युचुअल फंडों (एमएफ) की इक्विटी योजनाओं में निवेश मार्च के महीने में भी कम रह सकता है। फंडों में फरवरी में 26 फीसदी की मासिक आधार पर गिरावट दर्ज की गई थी। फंडों के इक्विटी खरीद आंकड़ों के नवीनतम रुझानों से यह संकेत मिलता है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च के महीने में 26 तारीख तक फंडों ने इक्विटी बाजार में 8,485 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था जबकि फरवरी में 48,000 करोड़ रुपये और जनवरी में 57,650 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की थी।
म्युचुअल फंडों की शुद्ध इक्विटी खरीद की मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है – इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं को मिले निवेश और निकासी, हाइब्रिड योजनाओं में इक्विटी आवंटन में बदलाव और नकदी होल्डिंग में परिवर्तन।
इक्विटी बाजार में गिरावट के शुरुआती महीनों में म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में निवेश में मजबूती रही थी लेकिन जनवरी से इसमें गिरावट आ रही है। शुद्ध संग्रह में गिरावट मुख्य रूप से नई योजनाओं की पेशकश में कमी के बीच एकमुश्त निवेश में नरमी के कारण हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में गिरावट भी एक कारण रही है क्योंकि सितंबर से फरवरी की अवधि के दौरान बाजार में तेज गिरावट ने इक्विटी योजनाओं के अल्पावधि के रिटर्न को खत्म कर दिया। हाल के वर्षों में निवेशकों को अलग-अलग समयावधि में इक्विटी योजनाओं से मजबूत रिटर्न मिला है जिससे वे इनके प्रति आकर्षित हुए। इक्विटी बाजार में तेजी और पिछले शानदार रिटर्न के कारण अक्टूबर 2023 से लेकर सितंबर 2024 की अवधि में फंडों से 1 करोड़ नए निवेशक जुड़े हैं।
हालांकि, एसआईपी निवेश पर काफी हद कोई असर नहीं पड़ा है। फरवरी में एसआईपी खातों में 26,000 करोड़ रुपये आए, जबकि जनवरी में 26,400 करोड़ रुपये मिले थे। यह इसके बावजूद है कि म्युचुअल फंड उद्योग में पिछले दो महीनों में शुद्ध रूप से एसआईपी खाते बंद हुए हैं।
मार्च में नरमी के बावजूद म्युचुअल फंडों ने ने वित्त वर्ष 2025 में पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुनी से अधिक राशि का निवेश किया है। 26 मार्च तक वित्त वर्ष 2025 की शुद्ध निवेश राशि वित्त वर्ष 2024 के 2 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 4.67 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर रही है।
इक्विटी और हाइब्रिड म्युचुअल फंड योजनाओं में रिकॉर्ड निवेश आने के कारण फंडों फंडों की इक्विटी खरीद में तेज उछाल आई है। एसआईपी में निरंतर निवेश ने भी फंडों की खरीद की ताकत में इजाफा किया है।
वित्त वर्ष 2025 के पहले 11 महीनों में निवेशकों ने ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में 3.9 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 में शुद्ध निवेश 1.8 लाख करोड़ रुपये रहा था। फंडों की बढ़ती इक्विटी खरीद क्षमता एफआईआई की बढ़ती बिकावाली के दौर में बाजार के लिए एक महत्त्वपूर्ण सहारा साबित हुई है।