मार्च में लगातार तीसरे महीने इक्विटी म्युचुअल फंडों (एमएफ) की योजनाओं में कम निवेश आया। हालांकि शेयर बाजार में अच्छी तेजी दर्ज की गई। इक्विटी फंड योजनाओं में मार्च में 25,082 करोड़ रुपये का निवेश आया जो फरवरी के मुकाबले 14 प्रतिशत कम है। निवेश को एसआईपी से समर्थन मिला जो खातों की संख्या घटने के बावजूद अच्छा रहा। फरवरी में 25,999 करोड़ रुपये की तुलना में पिछले महीने एसआईपी से 25,926 करोड़ रुपये का निवेश मिला।
केनरा रोबेको एएमसी में नैशनल हेड (सेल्स ऐंड मार्केटिंग) गौरव गोयल ने कहा, ‘इक्विटी में निवेश कमजोर पड़कर 11 महीने के निचले स्तर पर आ गया। लेकिन फिर भी 25,000 करोड़ रुपये के साथ यह मार्च में मजबूत बना रहा। इक्विटी निवेश में यह गिरावट काफी हद तक थीमेटिक फंडों की वजह से आई। एसआईपी योगदान मजबूत बना रहा और यह मार्च में भी 25,000 करोड़ रुपये को पार कर गया। इससे भारतीय निवेशकों की एसआईपी और दीर्घावधि निवेश की प्रतिबद्धता का पता चलता है।’
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के अनुसार सक्रिय एसआईपी खातों में तीसरे महीने भी कमी आई है। इसका मुख्य कारण उनके आंकड़े का मिलान और उन्हें दुरुस्त करना है। मार्च के अंत में 10.05 करोड़ सक्रिय एसआईपी खाते थे जबकि फरवरी में यह संख्या 10.17 करोड़ थी।
फ्लेक्सीकैप योजनाओं ने निवेश प्रवाह में बड़ा योगदान दिया और लगातार तीसरे महीने इनमें 5,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ। स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाएं लोकप्रिय रहीं और उन्होंने कुल मिलाकर 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश जुटाया। सेक्टोरल और थीमैटिक योजनाओं में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई क्योंकि फरवरी में इनमें निवेश 5,700 करोड़ रुपये से घटकर 170 करोड़ रुपये रह गया। हाल के महीनों में नई इक्विटी फंडों की पेशकशों में गिरावट ने भी निवेश पर असर डाला है।
हालांकि पिछले कुछ महीनों में इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश घटा है। लेकिन मार्च में बाजार में रिकवरी के बावजूद यह गिरावट हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी 50 में तीन महीने तक नुकसान दर्ज करने के बाद मार्च में करीब 6 फीसदी की तेजी आई।
म्युचुअल फंड विश्लेषकों का कहना है कि भले ही बाजार में सुधार दिखा हो लेकिन वैश्विक कारोबार से जुड़ी अनिश्चितता ने निवेशकों को इंतजार करने के लिए मजबूर कर दिया है। टैरिफ संबंधी चिंताओं के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव से निवेशकों में सतर्कता बढ़ी है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक-शोध प्रबंधक नेहल मेश्राम ने कहा, ‘ऐसे उपायों ने वैश्विक व्यापार जंग के फिर से शुरू होने की आशंकाओं को जन्म दिया है, जिससे आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं, निर्यात वाले उद्योग प्रभावित हो सकते हैं और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।’
इक्विटी बाजार में सुधार के कारण उद्योग की एयूएम में बढ़ोतरी हुई जबकि डेट फंडों से 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निकासी हुई। फरवरी में एयूएम 64.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 65.7 लाख करोड़ रुपये हो गईं। वित्त वर्ष 2025 के पिछले कुछ महीनों में मंदी के बावजूद फंड उद्योग ने वर्ष के दौरान इक्विटी योजनाओं में शानदार निवेश दर्ज किया। सक्रिय इक्विटी योजनाओं में निवेश वित्त वर्ष 2025 में दोगुना बढ़कर 4.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।