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समस्याओं के बावजूद विश्लेषकों को भा रहे एफएमसीजी शेयर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:08 AM IST

बढ़ती उत्पादन लागत की अल्पावधि चुनौतियों और ग्रामीण तथा शहरी भारत दोनों पर दूसरी लहर का प्रभाव पडऩे की वजह से उत्पादों के लिए कमजोर मांग की आशंका के बावजूद विश्लेषक एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों पर उत्साहित बने हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि सूचकांक वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा।
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में, मूंगफली तेल, सरसों तेल, वनस्पती, सोया तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल जैसी मुख्य जिंसों की कीमतें 20 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत के बीच चढ़ी हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस पृष्ठभूमि में, एफएमसीजी क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है। इसकी वजह उपभोक्ता मांग में आई कमजोरी के साथ साथ ऊंची कच्चे तेल, पाम तेल और वैश्विक खाद्य कीमतों की वजह से संभावित मार्जिन दबाव है।
ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के पंकज छाओछरिया और धीरेंद्र तिवारी ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘ऊंचे बेरोजगार स्तर को देखते हुए आईआईपी उपभोक्ता वस्तुओं में कमजोरी अगले कुछ महीनों तक बनी रह सकती है।’
विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियां कच्चे माल (तेल) में भारी तेजी का बोझ आने वाले समय में कम करने में सक्षम होंगी।
दूसरी तरफ, उपभोक्ता बिस्कुट, चाय, चीनी, नूडल्स, साबुन और शैम्पू जैसे जरूरी सामान की खरीदारी बरकरार रखेंगे। हालांकि वे अब इन श्रेणियों में महंगे उत्पादों की खरीद से परहेज कर सकते हैं। उनके अनुसार, खपत को मदद का अन्य कारण लगातार तीसरे साल सामान्य मॉनसून की संभावना है।
इससे कृषि उपज को मदद मिलेगी, मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और अर्थव्यवस्था को ताजा लॉकडाउन के बाद पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ‘बढ़ती कीमतों का पूरा बोझ ग्राहकों पर डालना तुरंत संभव नहीं हो सकता है, क्योंकि कंपनियां ग्रामीण और शहरी भारत पर कोविड के प्रभाव को महसूस कर रही हैं। लेकिन धीरे धीरे ऐसा हो सकता है। लोग जरूरी सामान की खरीदारी बरकरार रखेंगे, लेकिन ऊंची कीमत वाले उत्पादों के लिए मांग प्रभावित हो सकती है। सामान्य मॉनसून से मदद मिलेगी।’
दलाल पथ पर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक वित्त वर्ष 2022 में अब तक कमजोर रहा है और इसमें 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि निफ्टी-50 में करीब 5 प्रतिशत की तेजी रही। कुछ खास शेयरों के संदर्भ में बात की जाए तो पता चलता है कि गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, मैरिको, यूनाइटेड स्पिरिट्स और कोलगेट-पामोलिव में इस अवधि के दौरान 9 से लेकर 16 प्रतिशत के बीच तेजी आई, जबकि ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और आईटीसी में 6 प्रतिशत तक की कमजोरी दर्ज की गई।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी में मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल का कहना है, ‘जनसांख्यिकी, पति व्यक्ति आय, पहुंच स्तर और संगठित क्षेत्र के प्रति सकारात्मक बदलाव को देखते हुए भारत की खपत संबंधित सफलता अभी शुरू ही हुई है। हम कुछ वर्षों में मुद्रास्फीति में वृद्घि देखेंगे, लेकिन एफएमसीजी कंपनियों के पास उत्पाद मिश्रण के साथ साथ मूल्य निर्धारण ताकत का विकल्प है और वे बढ़ती लागत का ज्यादातर बोझ उपभोक्ताओं पर डालने में सक्षम होंगी।’
भले ही संपूर्ण एफएमसीजी क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा है, लेकिन जेफरीज के विश्लेषकों का मानना है कि भविष्य में इस क्षेत्र का प्रतिफल मजबूत बना रह सकता है। उनका कहना है कि सामान्य चिंता ऊंचा मूल्यांकन मल्टीपल भी है, जिस पर एफएमसीजी कंपनियों कारोबार (40-60 गुना पर) कर रही हैं और भविष्य में यह नीचे आ सकता है। उन्होंने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘एफएमसीजी कंपनियां जिस मल्टीपल पर कारोबार कर रही हैं, वह उनके स्वयं के ऐतिहासिक औसत से ऊपर है।’

First Published : June 1, 2021 | 9:06 PM IST