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डेट फंडों ने जी-सेक में निवेश बढ़ाया

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:13 AM IST

कॉरपोरेट चूक की  आशंका और बैंकों द्वारा जमा पत्रों (सीडी) निर्गमों में गिरावट की वजह से डेट म्युचुअल फंडों ने पिछले साल के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में अपना निवेश 30 प्रतिशत तक बढ़ाया।
बाजार नियामक सेबी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े के अनुसार, जी-सेक के लिए निवेश एक साल में 94,215 करोड़ रुपये या 31 प्रतिशत तक बढ़कर अगस्त के अंत तक 3 लाख करोड़ रुपये हो गया।
विश्लेषकों का कहना है कि कई डेट फंड अभी भी लिक्विड प्रतिभूतियों में निवेश पसंद करते हैं, क्योंकि वे 2018 के बाद से विभिन्न चूक और ऋण पत्रों की डाउनग्रेड देख चुके हैं।
एक फंड प्रबंधक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘वर्ष 2018 में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) संकट की शुरुआत और उसके बाद चूक के मामलों ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करने के लिए बाध्य किया था। अभी भी, फंड हाउस एए+ से कम रेटिंग के ऋण पत्रों में निवेश से परहेज करते हैं।’ 3 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों में, एक साल में परिपक्व होने वाले पत्रों का योगदान 2.30 लाख करोड़ रुपये और 90 दिन से कम अवधि में परिपक्व हो रहे पत्रों का 27,997 करोड़ रुपये का योगदान है। सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्डों/डेट में भी आवंटन पिछले साल के 2.20 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अगस्त में 2.40 लाख करोड़ रुपये हो गया था।
मिरई ऐसेट एएमसी में मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) महेंद्र जाजू का कहना है कि जी-सेक में निवेश वृद्घि डेट फंडों द्वारा लिक्विड परिसंपत्तियों की न्यूनतम निवेश सीमा और बैंक सीडी के लिए कम निवेश जैसे कुछ कारकों की वजह से भी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा, ‘शुरू में, डेट फंडों का इस्तेमाल बैंक सीडी में निवेश के लिए किया जाता था, लेकिन अब उनके द्वारा जारी पत्रों की संख्या ज्यादा नहीं है, क्योंकि वे स्वयं पर्याप्त तरलता से संपन्न है। इसके अलावा, आईएलऐंडएफएस संकट के बाद से ऋण बाजार प्रभावित हुआ है, इसलिए फंड सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर रहे हैं।’
सेबी के आंकड़े से पता चलता है कि डेट फंडों ने अगस्त में पिछले साल के मुकाबले एनबीएफसी के वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) और कॉरपोरेट  डेट (सीडी) में भी अपना  निवेश बढ़ाया।
अगस्त तक, फंड प्रबंधकों के पास एनबीएफसी के सीपी में 75,0243 करोड़ रुपये निवेश था, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 49,090 करोड़ रुपये था। वहीं एनबीएफसी के सीडी में यह निवेश जहां अगस्त 2020 में 86,104 करोड़ रुपये था, वहीं इस साल बढ़कर 92,377.85 करोड़ रुपये हो गया।
फंड प्रबंधकों का कहना है कि एनबीएफसी के पत्रों में भी वे सिर्फ ‘एएए’ रेटिंग और ‘एए प्लस’ पत्रों में ही निवेश कर रहे हैं।

First Published : October 15, 2021 | 11:35 PM IST