कमजोर सितंबर तिमाही के बाद कमोडिटी की कीमतों में उछाल, ज्यादा माल होने और विज्ञापन पर लगातार खर्च को देखते हुए कूलिंग सामान क्षेत्र की सूचीबद्ध कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के लिए निकट भविष्य का परिदृश्य निराशाजनक रह सकता है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो ज़्यादातर कंपनियों ने पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की है। सूचीबद्ध कंपनियों के लिए राहत की बात बस इतनी है कि उनके मूल्यांकन वाजिब हैं और अगर अगली गर्मियों में मांग में तेजी आती है तो यह एक अहम कारक हो सकता है।
इस गिरावट की मुख्य वजह एयर कंडीशनर सेगमेंट रहा। इस क्षेत्र की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों ने राजस्व में 10 से 23 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की। यह गिरावट ज्यादा चैनल इन्वेंट्री और जीएसटी ट्रांजिशन पीरियड के कारण हुई, जिसके कारण खरीदारी टल गई। नुवामा रिसर्च के अचल लोहाडे ने कहा, बड़े और छोटे अप्लायंसेज ने दूसरी तिमाही के सबसे खराब नतीजों में से एक दर्ज किया। मांग परिदृश्य आम तौर पर कठिन बना हुआ है। हालांकि कम मुद्रास्फीति और मजबूत मॉनसून से मध्यम अवधि में सुधार की उम्मीदें बरकरार हैं। ब्रोकरेज फर्म का कूलिंग सामान के क्षेत्र में सिम्फनी और वोल्टास पर सतर्क रुख है और इस क्षेत्र में उसकी पसंद हैवेल्स है।
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कई चुनौतियों ने न केवल राजस्व को प्रभावित किया बल्कि मार्जिन पर भी असर डाला। वोल्टास ने यूनिटरी कूलिंग उत्पाद खंड में 23 फीसदी की तीव्र गिरावट दर्ज की और बाजार हिस्सेदारी गंवाई। इस खंड का मार्जिन सालाना आधार पर 11 फीसदी गिरकर -3.8 फीसदी के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर आ गया जिसकी वजह सेल्स आउट स्कीम, सब्सिडी वाले इंस्टॉलेशन और उपभोक्ता वित्त के रूप में उच्च विपणन सहायता रही। इसके अलावा नए संयंत्रों की निश्चित लागत का बोझ भी नहीं उठापाना एक कारण रहा।
हैवेल्स के स्वामित्व वाली लॉयड की आय में सालाना आधार पर 19 फीसदी की गिरावट आई। सेगमेंट मार्जिन -20.7 फीसदी रहा। इस पर निश्चित लागत का बोझ न उठा पाने और ज्यादा उपभोक्ता पेशकशों का असर पड़ा। दूसरी ओर, ब्लू स्टार के कूलिंग उत्पाद सेगमेंट ने उद्योग की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया और रूम एसी श्रेणी में सालाना आधार पर बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई। वाणिज्यिक रेफ्रिजरेशन श्रेणी की बदौलत सेगमेंट मार्जिन में गिरावट 90 आधार अंकों के कारण 6.2 फीसदी तक सीमित रही।
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कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो या बीईई मानदंडों में बदलाव को देखते हुए निकट भविष्य में इस क्षेत्र को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।