रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन | फाइल फोटो
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन 4 और 5 दिसंबर को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय ‘राजकीय यात्रा’ पर भारत आ रहे हैं। इस सम्मेलन में भारत और रूस के बीच कई समझौते होंगे।
इससे पहले पुतिन दिसंबर 2021 में ‘कामकाजी’ दौरे (वर्किंग विजिट) पर भारत आए थे। पुतिन की पिछली ज्यादातर भारत यात्रा कामकाजी या आधिकारिक रही है मगर आगामी दौरा निश्चित रूप से राजकीय यात्रा होगी। रूस और भारत अपने रक्षा सहयोग मजबूत करने और व्यापार संबंधों (विशेष रूप से ‘राष्ट्रीय मुद्राओं’में) का विस्तार करने के रास्ते तलाश रहे हैं।
रूस भारतीय कृषि उत्पादों और दवाओं के आयात के लिए अपनी गैर-शुल्क बाधाएं कम करने की दिशा में काम कर रहा है। पुतिन ने पहले उप- प्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव को द्विपक्षीय व्यापार मुद्दों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। मंटुरोव भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग के सह-अध्यक्ष भी हैं।
रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने के बावजूद दोनों देश रूस के सुदूर-पूर्व और आर्कटिक शेल्फ में ऊर्जा संसाधनों की खोज एवं उनके खनन के लिए संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने सहित ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने पर भी विचार कर रहे हैं। रूस ने भारत को कच्चे तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त रियायत की पेशकश की है और नई गठित कंपनियों और मध्यस्थों के माध्यम से लेनदेन की पेशकश की है।
पिछले कुछ सप्ताहों में भारत ने रूस से कच्चे तेल की मात्रा कम कर दी है। रूस-भारत असैनिक परमाणु सहयोग का विस्तार करना चाहते हैं और इसके लिए वह रोसाटॉम के जरिये बड़े एवं छोटे स्तर के परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजनाओं का स्थानीयकरण प्रदान करता है। खासकर रूस की यह कंपनी सीमित ग्रिड ढांचे वाले क्षेत्रों में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों का स्थानीयकरण करना चाहती है।
रूस से एस-400 सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों की अतिरिक्त खेप भी विचाराधीन हैं। इस मिसाइल प्रणाली का भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’में किया था। एस-400 के तीन स्क्वाड्रन पहले ही आ चुके हैं और शेष दो अगले वर्ष के मध्य तक आने की उम्मीद है।
दोनों देश सु-57 लड़ाकू विमानों के कम से कम दो स्क्वाड्रन खरीदने और एस-500 वायु रक्षा प्रणालियों के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा करने की संभावना पर चर्चा कर सकते हैं। पुतिन इस बात को लेकर काफी उत्सुक रहे हैं कि उनका देश भारत से अपने आयात में वृद्धि करे।
अक्टूबर में उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्रियों को रूस-भारत द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन पर नई दिल्ली की चिंताओं को दूर करने, भारतीय दवा और कृषि उत्पादों की खरीद के लिए व्यापार बाधाएं कम करने और भारत के निजी क्षेत्र के साथ जुड़ाव बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने का निर्देश दिया था।
भारत भी दवा और परिधान जैसे क्षेत्रों में रूस को निर्यात बढ़ाना चाहता है जिससे द्विपक्षीय व्यापार असंतुलन दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। रूस से अधिक तेल आयात के कारण यह व्यापार संतुलन फिलहाल उसी के पक्ष में दिख रहा है। रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है जबकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा भागीदार है।
रूस की राजधानी मॉस्को में पुतिन की यात्रा की तारीखों की घोषणा करते हुए रूस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बातचीत के बाद एक संयुक्त बयान आने और ‘अंतर-विभागीय और व्यावसायिक समझौतों की एक विस्तृत श्रृंखला’ पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। दोनों पक्ष द्वारा असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की संभावना है।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पुतिन की यात्रा ‘भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने, ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ मजबूत करने के लिए दृष्टिकोण निर्धारित तय और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगी।’राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पुतिन की अगवानी करेंगी और उनके सम्मान में एक भोज रखेंगी।
23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुतिन ऐसे समय में आ रहे हैं जब भारत को रूस से तेल की खरीद के लिए अमेरिका से गंभीर शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है। रूस से तेल की खरीदने पर भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगने के बाद पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं। पुतिन और मोदी ने अगस्त में दो बार बात की और बाद में 31 अगस्त को शांघाई सहयोग संगठन के मौके पर चीनी शहर थ्यानचिन में मुलाकात की। बिना किसी अन्य व्यक्ति की मौजूदगी में पुतिन की बख्तरबंद कार लिमोसिन में लगभग एक घंटे तक मोदी के साथ उनकी बातचीत उस बैठक का मुख्य आकर्षण थी।