प्राथमिक बाजार अपनी चमक खो रहा है और इस साल जारी सार्वजनिक पेशकश पिछले साल जुटाई पूंजी का आठवां हिस्सा ही जुटा पाए हैं। इसकी वजह रहा गिरता शेयर बाजार।
शेयर बाजार में अब तक जनवरी की अपनी अधिकतम ऊंचाई से 30 फीसदी की गिरावट आ चुकी है जिससे निवेशकों का विश्वास कम हुआ है। प्राइम डाटा बेस के आकड़ों के मुताबिक साल के पहले सात महीनों में अब तक सिर्फ 25 आईपीओ ही बाजार में आए जिनके जरिए 4,345 करोड़ की पूंजी जुटाई गई जबकि पिछले साल इसी समय के दौरान 32,993 करोड़ के 65 आईपीओ आए थे।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह रही कि कई कंपनियों ने अपने आईपीओ की मंजूरियों को रद होने के लिए छोड़ दिया। पहले आईपीओ लाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक आयोग की मंजूरी ही अंतिम रोड़ा हुआ करता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।
पिछले महीनों के दौरान 22 कंपनियां, जो 16,539 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही थीं, ने अपने सार्वजनिक पेशकश लाने की योजना टाल दी। इसमें जयप्रकाश वेंचर्स (4,000 करोड़), रिलायंस इंफ्राटेल (4,000 करोड़), यूटीआई असेट मैनेजमेंट (2,000 करोड़), एमसीएक्स (600 करोड़) जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
यह बात यहीं खत्म नहीं होती है आठ से अधिक कंपनियों ने जो सम्मिलित रूप से 4,772 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही थी, ने साल की शुरुआत से अब तक अपने पेशकश दस्तावेज वापस ले लिए हैं। मौजूदा बाजार माहौल से भी निवेशकों का रुझान प्रभावित हुआ है।
प्राइम के आंकड़ों के अनुसार 12 और कंपनियां जिनकी योजना 3,643 करोड़ रुपए जुटाने की थी, सेबी से मंजूरी मिलने के बावजूद अब इन मंजूरियों के रद होने का इंतजार कर रही हैं। इनमें महिंद्रा रिसोर्ट हॉलीडे, डीबी कारपोरेशन,कॉक्स एंड किंग्स और राइट्स शामिल हैं।
प्रावधानों के अनुसार प्रस्ताव को अनुमति मिलने के बाद कंपनियों को 90 दिनों के भीतर बाजार में प्रवेश कर लेना चाहिए। प्राइम डाटाबेस के पृथ्वी हल्दिया ने कहा नए प्रस्तावों की मांग भी काफी कमजोर है क्योंकि पेशकश के खरीदार ही मौजूद नहीं है। ऐसे में कोई जोखिम लेनें की कोशिश क्यों करेगा। करीब 32 कंपनियां जिनकी योजना 18,175 करोड़ रुपए जुटाने की है, सेबी की अनुमति मिलने का इंतजार कर रही हैं।