यूक्रेन पर रूस के हमले और पश्चिमी देशों के प्रतिरोध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पैदा हुई अनिश्चितता के मद्देनजर भारतीय कंपनियां विदेश से रकम जुटाने की अपनी योजनाओं को फिलहाल टाल रही हैं। भारतीय कंपनियां फिलहाल बाजार पर नजर रखते हुए स्थिति में सुधार होने का इंतजार कर रही हैं।
बैंकरों ने कहा कि भू-राजनीतिक संकट के अलावा अमेरिका में बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि किए जाने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय दरों में सख्ती के कारण भी भारतीय कंपनियां अपनी डॉलर बॉन्ड योजना को फिलहाल टाल रही हैं। भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक एके तिवारी ने कहा, ‘यूक्रेन की स्थिति का बाजार पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस परिस्थिति में अंतरराष्ट्रीय निवेशक उभरते बाजारों से बाहर निकलकर निवेश को सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं। इससे उन बाजार में नकदी प्रवाह कुछ हद तक कम हो जाता है।’
फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी किए जाने के कारण समग्र दर में वृद्धि हो रही है। इससे नकदी प्रवाह में कमी और बाजार में अनिश्चितता का भी पता चलता है। तिवारी ने कहा, ‘इस प्रकार कंपनियां निकट भविष्य में सतर्क रुख अपना सकती हैं।’
तेल कंपनियों, जेएसडब्ल्यू और मुंबई हवाई अड्डे सहित कई भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार को भुनाने की योजना बना रही थीं लेकिन बैंकरों का कहना है कि वे अब यूक्रेन संकट के मद्देनजर कोई निर्णय लेने से पहले इंतजार कर रही हैं। एक बैंकर ने कहा, ‘यदि रूस और यूक्रेन के बीच कोई बातचीत सफल होती है तो बाजार तेजी के साथ वापसी करेगा क्योंकि उच्च रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों के पास अदायगी का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है।’
रिलायंस इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों ने डॉलर बॉन्ड के जरिये इस साल अब तक 6 अरब डॉलर जुटाए हैं। कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय कंपनियों ने 12.6 अरब डॉलर के मुकाबले 23.3 अरब डॉलर जुटाए थे। बैंकरों ने कहा कि कुछ भारतीय कंपनियों को भारतीय सॉवरिन रेटिंग के मुकाबले बेहतर क्रेडिट रेटिंग मिली है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी बाजारों से रकम जुटाना आसान हो गया है।
एक अन्य बैंकर ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘इन बॉन्ड की खरीद-फरोख्त द्वितीयक बाजार में किया जाता है जहां ऋण की अदायगी को लेकर भावना बाजार मूल्य के मुकाबले कहीं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।’