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विनिवेश, एलआईसी आईपीओ पर ब्रोकरों की राय

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 8:51 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2022 के लिए बजट पेश किए जाने के बाद बाजार में अच्छी तेजी आई है। बीएसई का सेंसेक्स महज दो कारोबारी सत्रों में 3,300 अंक से ज्यादा चढ़ा है। कई ब्रोकरों ने बजट प्रस्तावों को संतोषजनक करार दिया है और इन्हें वृद्घि-समर्थक करार दिया है। ब्रोकरों का मानना है कि इन प्रस्तावों से कोविड-19 प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को पूंजीगत खर्च-आधारित सुधार दर्ज करने में मदद मिलेगी। हालांकि आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार के राजकोषीय घाटे और उधारी कार्यक्रम के लक्ष्य भी अनुमान के मुकाबले ज्यादा चुनौतीपूर्ण लग रहे हैं।
वित्त मंत्री सीतारमण बजट पर प्रमुख ब्रोकरेज फर्मों की राय पेश की गई है।

गोल्डमैन सैक्स
वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 का राजकोषीय घाटा अनुमान से काफी ज्यादा था। निर्धारित खर्च की गति शानदार पूंजी खर्च के बावजूद वित्त वर्ष 2022 में कमजोर रहने की आशंका है। बजट इक्विटी के लिए ज्यादा सकारात्मक रहा, और अनुमान से ज्यादा आपूर्ति और घाटे को कम करने की धीमी गति को देखते हुए बॉन्डों के लिए कम सकारात्मक।

यूबीएस
सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादा पूंजी खर्च की घोषणा इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट और वाहन (एलऐंडटी, अल्ट्राटेक और अशोक लीलैंड) के लिए सकारात्मक है। दबावग्रस्त परिसंपत्तियों की समस्या दूर करने के लिए ‘बैड बैंक’ की घोषणा सकारात्मक है, लेकिन स्थिति काफी हद तक नकदी या प्रतिभूति प्राप्तियों के आकार और प्रकार पर निर्भर करेगी। बाजार कर व्यवस्था की मजबूती चाहेगा। वित्तीय समेकन की लंबी राह पर हमारा मानना है कि आगामी वर्षों के लिए पर्याप्त संभावना है।

नोमुरा
सरकार द्वारा खर्च बढ़ाने का निर्णय अनलॉक चरण के दौरान उच्च कुशल प्रभावों के उसके दृष्टिकोण को दर्शाता है। संशोधित लक्ष्यों से पता चलता है कि सरकारी खर्च असमान होगा और वित्त वर्ष 2021 (जनवरी-मार्च 2021) की आखिरी तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 55-60 प्रतिशत का इजाफा होगा। हमारा मानना है कि रेटिंग एजेंसियां बजट को कुछ ज्यादा नकारात्मक मान सकती हैं, क्योंकि उनका ध्यान मध्यावधि राजकोषीय वित्त पर है। दो रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत के लिए नकारात्मक नजरिये के साथ हमारा मानना है कि बजट फिच से रेटिंग डाउनग्रेड की आशंका बढ़ा सकता है।

जेफरीज
बजट से वित्तीय संरक्षण से वृद्घि-उन्मुख होने के सरकार के नजरिये का पता चलता है। वित्त वर्ष 2022 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 प्रतिशत पर अनुमानित है, जो बाजार अनुमानों के मुकाबले करीब 150 आधार अंक ज्यादा है। ऊंचा खर्च पूंजीगत खर्च में वृद्घि कर सकता है। सरकार सरकारी बैंकों में विनिवेश, बीमा में एफडीआई आदि से संबंधित सुधारों को लेकर प्रतिबद्घ दिख रही है। हम बैंकों, संपत्ति, उद्योग और धातु पर ओवरवेट बने हुए हैं।

क्रेडिट सुइस
मुख्य घाटा अनुमान से ज्यादा है, लेकिन यह कुछ हद तक अतिरिक्त बजटीय खर्च को शामिल किए जाने की वजह से है। 2022 में जीडीपी में सुधार उदार रहेगा। दो पीएसयू बैंकों का निजीकरण अच्छा है। राजकोषीय घाटा अनुमान से ज्यादा है और इससे प्रतिफल प्रभावित होगा, लेकिन सुधरते वृद्घि परिदृश्य से ऋण वृद्घि में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।

मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज
बजट में खपत के संदर्भ में ज्यादा बढ़ावा नहीं दिया गया है। हालांकि हमने दिसंबर 2020 के तिमाही नतीजों से यह महसूस किया है कि खपत मांग में सुधार की रफ्तार अच्छी है और कई स्टैपल्स तथा डिस्क्रेशनरी कंपनियों द्वारा दो अंक की बिक्री वृद्घि दर्ज की गई है। हम रियल एस्टेट सेक्टर के लिए और ज्यादा प्रोत्साहन देख सकते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में ठहराव की लंबी अवधि के बाद अब सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

एडलवाइस सिक्योरिटीज
व्यवसाय चक्र के नजरिये से, वित्तीय जोर वृद्घि समर्थक है और इससे शुरुआती सुधार को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, अमेरिका तीसरे दौर के वित्तीय राहत पैकेज की तैयारी कर रहा है, जिसका उभरपते बाजार (ईएम) अर्थव्यवस्थाओं (भारत समेत) पर सकारात्मक असर पड़ेगा। कुल मिलाकर, हमारा मानना है कि पिछले समय के विपरीत, कर राजस्व अनुमान काफी उदार हैं।

फिलिप कैपिटल
हमारा मानना है कि पूंजीगत खर्च-केंद्रित बजट विनिवेश और परिसंपत्ति बिक्री के जरिये वित्त पोषित होगा। ऊंचे पूंजीगत खर्च में अहम योगदान वाले प्रमुख क्षेत्र हैं रेलवे, सड़क एवं परिवहन, रक्षा, तेल एवं गैस, बिजली एवं आवास।

First Published : February 2, 2021 | 11:49 PM IST