बॉन्ड बाजार इसे लेकर आश्वस्त नहीं है कि क्या सरकार अपने उधारी लक्ष्यों को 12 लाख करोड़ रुपये पर बनाए रखने में सक्षम रहेगी। आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा था कि दूसरी छमाही का उधारी कार्यक्रम 4.34 लाख करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित बना रहेगा।
बजाज ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा था, ‘पहली छमाही में उधारी पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले ज्यादा है। दूसरी छमाही के लिए, हमने इसे ध्यान में रखते हुए अपने संसाधनों और खर्च की योजना बनाई है। भले ही नकारात्मक आश्चर्य हो, लेकिन हम इसके लिए तैयार हैं।’
मूल आधार यह है कि अर्थव्यवस्था के खुलने और सतर्कतापूर्वक खर्च प्रबंधन से उधारी घोषित सीमा में बनी रह सकती है। बजाज के अनुसार, बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि वित्तीय प्रोत्साहन मुहैया कराया जाता है तो अतिरिक्त उधारी की जरूरत नहीं भी हो सकती है।
कुछ वरिष्ठ बॉन्ड विश्लेषक बजाज के नजरिये से सहमत हैं। उदाहरण के लिए, बैंक ऑफ अमेरिका के ट्रेजरी प्रमुख जयेश मेहता का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि सरकार अपने उधारी आंकड़ों में बदलाव नहीं करेगी।
लेकिन अन्य अर्थशास्त्री और बॉन्ड डीलर इसे लेकर थोड़े आशंकित हैं। सरकार की राजस्व कमी अब तक करीब 7 लाख करोड़ रुपये है, जबकि दूसरी छमाही में सरकार ने 4.34 लाख करोड़ रुपये की उधारी की योजना बनाई है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आक्रामक खर्च प्रबंधन के साथ भी यह अंतर ऐसे दबावपूर्ण वर्ष में दूर किया जाना मुश्किल है, जब राजस्व प्राप्ति किसी सामान्य वर्ष के मुकाबले कम रहेगी।
बॉन्ड बाजार के कई डीलरों का कहना है कि इसलिए, आने वाले दिनों में कम से कम 1.5-2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी दर्ज की जा सकती है।
फिलिप कैपिटल में कंसल्टेंट (फिक्स्ड इनकम) जयदीप सेन ने कहा, ’12 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा हासिल होने योग्य नहीं दिख रहा है। कितनी अतिरिक्त उधारी जुटाई जाएगी, इसका अनुमान लगाना अभी कठिन है। यह फरवरी या मार्च में हो सकता है। कर में कमी के साथ, विनिवेश नहीं हो रहा है और राहत उपायों के तौर पर सरकार को ज्यादा रकम उधार लेनी होगी।’
वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार ने ग्रीनशू ऑप्शन के जरिये 66,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी जुटाई थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार के लिए उधारी की औसत दर महज 5.82 प्रतिशत थी। ऐसी उधारी का फायदा यह है कि बाजारों को ऊंची नीलामी आंकड़ों से प्रभावित नहीं होते, जिससे उनका बिडिंग पैटर्न प्रभावित हो सकता है, जबकि सरकार को निर्गम आकार के लिए प्राप्त अतिरिक्त बोलियों का इस्तेमाल करने में आसानी हो सकती है। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि समान रणनीतियां दूसरी छमाही में इस्तेमाल की जा सकती हैं।
इसके अलावा, सरकार अपनी इच्छा के अनुसार कितनी भी उधारी के लिए शॉर्ट-टर्म टे्रजरी बिल रूट का आसानी से इस्तेमाल कर सकती है। पर्याप्त नकदी और शॉर्ट-टर्म बिलों की मांग ज्यादा होने से सरकार इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकती है और रिडम्पशन प्रक्रिया अगले साल के लिए बढ़ा सकती है। एसबीआई के समूह प्रमुख अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष का कहना है कि कुछ कारणों से, ट्रेजरी बिल उधारी आंकड़े नीचे बने हुए हैं।